Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 657
________________ ६४५ सुबोधिनी टीका. स. ९३ सूर्याभदेवस्य कार्यक्रमवर्णनम् त्रिसोपानप्रतिरूपकाणि शालभजिकाश्च व्यालरूपाणि च लोमहस्तकेन प्रमाजयति, दिव्यया दकधारया सरसेन गोशीर्षचन्दनेन पुष्पारोहणम् ० आसक्तावक्त० धूपं ददाति, सिद्धायतनम् अनुप्रदक्षिणीकुर्वन् यत्रैव उत्तरीया नन्दापुष्करिणी तत्रैव उपागच्छति तदेव । यत्रैव उत्तरीयाश्चैत्यवृक्षस्तत्रैव उपागच्छति, यत्रैव उत्तरीयश्चैत्यस्तूपस्तथैव. यत्रैव पाश्चात्त्या पीठिका यत्रैव सइ-तोरणे तिसोवाणपडिरूवए सालभंजियाओ य बालरूवए य लोमहत्थएणं पमजइ) रोमहस्तक को उठाया, उससे उसने तोरणों को एवं त्रिसोपानप्रतिरूपकों को साफ किया, तथा सर्परूपकों को भी साफ किया (दिव्वाए दगधाराए, सरसेणं गोसीसचंदणेण० पुष्फारुहणं० आसत्तोसत्त० धूवं दलयइ, सिद्धाययणं अणुपयाहिणी करेमाणे जेणेव उत्तरिल्ला गंदाधुक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ) बादमें उसने उन सबको दिव्यजलधारा से प्रोक्षित किया, सरस गोशीर्षचन्दन से उन पर लेप किया. ऊपर से नीचे तक लटकती हुई पुष्पों की मालाओं के समूह को वहां सजाया, धूप जलाई सब पूर्वोक्त जैसे कार्य यहां पर भी उसने किये. बादमें वह सिद्धायतन की प्रदक्षिणा करके जहां उत्तरीयनन्दा पुष्करिणी थी वहां पर आया. वहां आकर के भी उसने (तं चेव) ये ही सब पूर्वोक्त कार्य किये. अर्थात् दक्षिणनन्दापुष्करिणी पर जो कार्य किये थे-वे ही सब धूपान्ततक के कार्य वहां पर किये (जेणेव उत्तरिल्ले चेइयरुक्खे, तेणेव उवागच्छइ, जेणेव तोरणे तिसोवाणपडिरूवए सालभंजियाओ य बालरूवए य लोमहत्थएणं पमज्जइ) પ્રમાર્જની હાથમાં લીધી. તેનાથી તેણે તોરણે અને ત્રિપાન પ્રતિરૂપકેને સાફ ४ा. तेमा सप३५ोने ५५॥ २१२७ ४ा (दिव्वाए दंगधाराए, सरसेणं गोसीसचदणेणं पुष्फारुहणं० आसत्तोसत्त० धूवं दलयइ, सिद्धाययणं अणुपयाहिणी करेमाणे जेणेव उत्तरिल्ला गंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ) त्या२५छी ते ते याने हिव्य જલધારાથી પ્રેક્ષિત કર્યા. અને સરસ ગોશીષચંદનનું લેપન કર્યું. ઉપરથી નીચે સુધી લટક્તા પુષ્પમાળાઓના સમૂહને ત્યાં સજિજત કર્યા. ધૂપ સળગાવ્યા વગેરે. બધાં કાર્યો પૂર્વોક્ત રીતે અહીં પણ સંપન્ન કર્યા. ત્યારપછી તે સિદ્ધાયતનની–પ્રદક્ષિણા કરીને જ્યાં ઉત્તરીય નંદા પુષ્કરિણી હતી ત્યાં ગયો. ત્યાં પહોંચીને पण तेथे (ते चेव) पूर्वात मयां : पू . मेटले ते दाक्षिणात्य નંદાપુષ્કરિણું પર જે કામ કર્યા હતાં તે બધાં ધૂપ સળગાવવા સુધીના બધા आर्या मी पुस ४ा. (जेणेव उत्तरिल्ले चेइयरुक्खे, तेणेव उवागच्छइ श्रीशन प्रश्नीय सूत्र:०१

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