Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुबोधिनी टीका. स. ८७ सूर्याभविमानस्य देवकृतसज्जीकरणादिवर्णनम् ५९७ अप्येकके देवा पीनयन्ति अध्येक्के देवा लासयन्ति अप्येकके देवा हक्कुर्वन्ति अप्येकके देवा वीणयन्ति ताण्डयन्ति अप्येकके देवा वल्गन्ति आस्फोटयन्ति अप्येकके देवा आस्फोटयन्ति वल्गन्ति, अप्येकके देवास्त्रिपदी छिन्दन्ति, अप्येकके देवा हयहेषितं कुर्वन्ति, अप्येकके देवा हस्तिगुलगुलायितं कुर्वन्ति, अप्येकके देवा रथघनघनायितं कुर्वन्ति अप्येकके देवा हयहेन्तमध्यावसानिक कितनेक देवोंने “वुत्" इस प्रकार के शब्द का उच्चारण किया (अप्पेगइया देवा पीणेति. अप्पेगइया देवा लासेंति, अप्पेगइया देवा हक्का-ति, अप्पेगइया देवा विणंति, तंडवेंति) कितनेक देवोंने अपने आपको फुला लिया कितनेक देवीने लास्य नामक नृत्य किया. कितनेक देवोंने "हकहक" इस प्रकार के शब्द का उच्चारण किया, कितनेक देवोंने वीणा के जैसे शब्दों को उच्चारण किया. कितनेक देवोंने ताण्डव नृत्य किया (अप्पेगइया देवा वग्गति अप्फोडेंति) कितनेक देव कूदे और फिर पीछे से उन्होंने तालियां बजाई (अप्पेगइया देवा अप्फोडेंति, वग्गंति) कितनेक देवोंने पहिले तालियां बजाई बाद में वे कूदे, (अप्पेगइया देवा तिवई छिदंति) कितनेक देवोंने तीन पैर आगे कूदनेका कार्य प्रारंभ किया (अप्पेगइया देवा हयहेसियं करेंति) कितनेक देवोंने घोडेके हिनहिनाने जैसा शब्दों का उच्चारण किया. (अप्पेगइया देवा हत्थिगुलगुलाइयं करेंति) अप्पेगइया देवा रहघणघणाइयं करेंति) कितनेक देवोंने हाथी के गुल गुल जैसे शब्दों का उच्चारण किया. कितनेक देवोंने रथ के घन घन जैसे शब्दों का
લોકાંતમધ્યાવસાનિક આ ચારે જાતનાં અભિનય છે. કેટલાક દેએ “બુત’ આ
तना शहनु स्या२४ ४यु, (अप्पेगइया देवा पी0ति अपेगइया देवा लासेंति, अप्पेगइया देवा हक्कारे ति अप्पेगइया देवा विणति, तडवेंति ) 21 वो પિતાના શરીરને ફૂલાવી દીધું, કેટલાક દેએ લાસ્ય નામક નૃત્ય કર્યું, કેટલાક દેએ “હક હક” આ જાતના શબ્દનું ઉચ્ચારણ કર્યું. કેટલાક દેએ વીણું
२१२०४नु या२९५ ४यु", 32सा हेवा तांडव नृत्य यु". (अप्पेगइया देवा वगंति अप्फोर्डेति) dus देवास ४७। भार्या भने पछी तालीम पाडी, (अप्पेगइया देवा अप्फोडेंति, वगंति) मा वामे वृक्ष ४२ता ५९५ मा ६४ा। मारवानु म १३ ४यु. ( अप्पेगइया देवा हयहेसियं करेंति) टसा हेवाये घाना २ च्या२९॥ ४यु. (अप्पेगइया देवा हत्थिंगुलगुलाइयं करे'ति, अप्पेगइया देवा रहघणघणाइयं करेंति ) 21 वोये थी २वा 'शुस शुत શબ્દનું ઉચ્ચારણ કર્યું. કેટલાક દેવોએ રથના “ઘનઘન જેવા શબ્દનું ઉચ્ચારણ
શ્રી રાજપ્રશ્રીય સૂત્રઃ ૦૧