Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 607
________________ सुबोधिनी टीका. सू. ८७ सूर्याभविमानस्य देवकृतसज्जीकरणादिवर्णनम् ५९५ देवाश्चतुर्विधं वादित्रं वादयन्ति, ततं विततं घनं शुशिरम् अप्येकके देवाश्चतुर्विधं गेयं गायन्ति, तद्यथा-उत्क्षिप्तं पादान्तं मन्दं रोचिता वसानम्, अप्येकके देवाः द्रतं नाटयविधिम् उपदर्शयन्ति अध्येकके देवाः विलम्बितनाटयविधिम् - उपदर्शयन्ति, अप्येकके देवा द्रुतविलम्वितं नाट्याविधिम् सुवर्णप्रदान करने की विधि का विभाजन किया, कितनेक देवोंने अन्य देवों के लिये रत्न की कितनेक देवोंने पुष्पकी कितनेक देवोंने फलोंकी कितनेक देवोंने मालाओं की और कितनेक देवोंने चूर्ण की विधिका विभाजन किया कितनेक देवोंने वस्त्रप्रदान करनेकी विधिका, और कितनेक देवोंने गंधक विधिका विभाजन किया (तत्थ अप्पेगइया देवा आभरणविहि भति) तथा वहां कितने देवोंने अन्य देवोंके लिये आभरणप्रदान करने की विधिका विभाजन किया. (अप्पेगइया देवा चउव्विहं वाइंस वाइंति, ततं विततं, घणंसिरं ) तथा कितनेक देवोंने वहां तत, वितत, घन और झुसिर - शुषिर - इन चार प्रकार के बाजों को बजासा (अप्पेगइया देवा चउन्विहं गेयं गायति - तंजहा- उविखत्तायं, पायत्तायं मंदार्य, रोइयावसाणं) तथा वहां कितनेक देवोने चार प्रकारके उत्क्षिप्त, पादान्त, मन्द, एवं चितावसान - इस प्रकार के चार प्रकारके गाने को गाया (अप्पेगइया देवा दुयं विहिं उपसंति) तथा कितनेक देवोंने वहां द्रुतनाटयविधि का प्रदर्शन किया (अप्पेगइया देवा विलवियणट्टविहि उवदंसेति) तथा कितनेक देवोंने विलम्बित नाटयविधिको दिखलाया (अप्पेगइया दुयविलंबियं णट्टविहि કેટલાક દેવાએ બીજા દેવાને રત્ના અર્પિત કરવાની વિધી પૂરી કરી, કેટલાક દેવાએ પુષ્પવિધિને, કેટલાક દેવાએ ફળ અર્પિત કરવાની વિધિને, કેટલાક દેવે એ માળા અર્પિત કરવાની વિધિને, કેટલાક દેવાએ ચૂર્ણપ્રદાન કરવાની વિધિને, કેટલાક દેવાએ વજ્રપ્રદાન કરવાની વિધિને અને કેટલાક દેવાએ ગધદ્રવ્ય પ્રદાન કરવાની विधिने पूरी उरी. ( तत्थ अप्पेगइया देवा आभरणरिहिं भाएंति ) तेभन त्यां કેટલાક દેવાએ ખીજા દેવાને આભરણુ અપવારૂપ જે વિધિ હોય છે તેને પૂરી ५ . ( अप्पेगइया देवा चउब्विहं वाइत वाइति, ततं विततं, घण झुसिरं ) तेभन કેટલાક ધ્રુવએત્યાં તત, વિતત, ઘન અને ન્રુસિર-શૃષિર આ वालमो वगाड्यां. ( अप्पेगइया देवा चउन्विहं गेयं गायंति - तं तायं पायत्तायं मंदायं रोइयावसाणं ) तेमन त्यां डेटला हेवाथे यार ( उत्क्षिप्त, पाहान्त भन्छ भने रोयितावसान ) गीतोनु ज्ञान, (अप्पेगइया देवा दुयं नट्टविहिं उवदंसंति ) तेभन डेटा हेथे त्यां द्रुतनाटयविधि प्रदर्शन 5. ( अप्पेगइया देवा विलंवियणट्टविहिं उवदंसेति ) तेभन टसा देवाखे विस - ચાર જાતના जहा - उक्खि જાતના શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર ઃ ૦૧

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