Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): K R Chandra, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
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आचाराङ्ग
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के. आर. चन्द्र 10. शुब्रिग महोदय द्वारा सम्पादित आचाराङ्ग (1910 A. D.) के
संस्करण में भांडारकर ओरिएन्टल रीसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना की वि. सं. 1348 की ताडपत्रीय प्रति में से अनुल्लिखित पाठान्तर
शुबिंग-संस्करण का पाठ
पूना की प्रति | मजैवि. का पाठ का पाठान्तर और सूत्र नं.
भवइ एवमेगेसिं
नायं
भवइ
सहसम्मुइयाए एवमेगेसिं भवइ अणुसंचरइ लोगावाई
भवति एवमेकेसि नातं भवति सहसंमुदियाए एवमेकेसि भवति अणुसंचरति लोकावाई सहेति भगवता लोकंसि जस्सेते आतुरा परितावेंति समारंभति भवति
भवति एवमेगेसि णातं भवति सहसम्मुइयाए एवमेगेसिं भवति अणुसंचरति लोगावादी सहेति भगवता लोगंसि जस्सेते आतुरा परितावेंति समारंभति भवति
सहेइ
भगवया लोगंसि जस्सेए आउरा परियावेन्ति
समारभइ | भवइ
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