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आचाराङ्ग
विविध Miscellaneous
Dear Prof. Dr. Chandra,
Received with thanks the off-print of your article on editing old Amg. texts in 'Nirgrantha', Vol. 1, 1995, S.C.E.R.Centre, Ahmedabad.
The next generation shall thank you for the great undertaking you are pursuing. SANGLI
-Prof G.V. Tagare 16-10-96
"विशेषावश्यकभाष्य" को पाण्डुलिपि पर जो भाषा-शास्त्रीय चिन्तन आपने प्रस्तुत किया है वह महत्त्वपूर्ण है। इससे पाठ शुद्ध करने में सहयोग मिलेगा।
हमारी दृष्टि में इसके साथ अर्थ को मुख्य आधार मानकर पाठ-शुद्धि का प्रयत्न और होना चाहिए । केवल भाषा-शास्त्रीय दृष्टिकोण पाठ-शुद्धि के लिए अधूरा रहेगा । आपने जो परिश्रम किया है वह स्तुत्य है। लाडनूं ४ नवेम्बर '९६
-आचार्य श्री महाप्रज्ञजी
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