Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): K R Chandra, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
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प्रथम अध्ययन का पुनः सम्पादन [९८]
द्वितीय उद्देशक 15 से बेमिअप्पेके48 अन्धमब्भे49 अप्पेके अन्धमच्छे, अप्पेके पादमब्भे अप्पेके पादमंच्छे, अप्पेके गुप्फमब्भे अप्पेके गुप्फमच्छे, अप्पेके जङ्घमब्भे अप्पेके जङ्गमच्छे,50 अप्पेके जानुमब्भे51 अप्पेके जानुमच्छे, अप्पेके ऊरुमब्भे अप्पेके ऊरुमच्छे, अप्पेके कडिमब्भे अप्पेके कडिमच्छे, अप्पेके नाभिमब्भे2 अप्पेके नाभिमच्छे, अप्पेके उदरमब्भे अप्पेके उदरमच्छे, अप्पेके पासमब्भे अप्पेके पासमच्छे, अप्पेके पिट्ठिमब्भे अप्पेके पिट्ठिमच्छे, अप्पेके उरमब्भे अप्पेके उरमच्छे, अप्पेके हिदयमब्धे3
48.
आ
अप्पेगे मजैवि. इस सूत्र में सभी जगह यही पाठ है । (अप्पेके आचा. प्रति* 'जे' में इसी सूत्र में आगे हियमब्भे) यही 'अप्पेके' पाठ मिलता है ।।
"एके' पाठ के लिए देखो पीछे उद्देसग-2,
पाटि. नं. 10 अंधमब्भे मजैवि. अन्धमब्भे जंघमब्भे मजैवि. जङ्घमब्भे
मजैवि. णाभिम- मजैवि. नाभिम
आचा. प्रति खं 3, ला. हिययम- मजैवि. -हिदयं (मणुस्सहिदयं) ऋषिभा. 4.4
जाणुम
53.
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