Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): K R Chandra, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 344
________________ 310 आचाराङ्ग आप अर्धमागधी भाषा के वैज्ञानिक अध्ययन करने वाले धौरेय भाषाशास्त्रियों में पांक्तेय हैं। आपके इस पुंखानुपुंख भाषिक अनुशीलन से अर्धमागधी की भाषिक विवेचना के क्षेत्र में नवीन वातायन उद्घाटित हुआ है ।......आशा है आपकी यह भाषिक कृति भाषा-विज्ञान की शोधयात्रा में ऐतिहासिक क्रोशशिला सिद्ध होगी। पटना - डॉ. रंजनसूरिदेव २०-७-९५ - आपने बहुत श्रम किया है और प्राकृत भाषा के प्राचीन स्वरूप तथा अर्धमागधी ग्रन्थों की सही सम्पादन पद्धति को एक नयी दिशा प्रदान की डो. प्रेमसुमन जैन उदयपुर २४-७-९५ प्राकृत के क्षेत्र में आपका यह योगदान निश्चित ही विशेष स्मरणीय रहेगा। इस दिशा में आपके द्वारा सुझाये गये मानदण्ड बड़े ही उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। नागपुर - डो. भागचंद चैन १४-९-९५ आगम ग्रन्थों के सम्पादन के क्षेत्र में आपका यह प्रयास निश्चय ही अनुसन्धान के नये आयामों का विस्तार कर रहा है। सुंगेरी (करनाटक) - डॉ. दामोदर शास्त्री 21-9-95 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364