Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): K R Chandra, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
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प्रथम अध्ययन का पुनः सम्पादन
यथावत्
महाप्राण
व्यंज
ख
घ
थ
ध
फ
भ
पडिघात
पव्वथित
अध, इध, अबोधी, मेधावी, वधेन्ति
नाभि, पभू, विभूसा
न्य =
[ १६५ ]
घोषीकरण
न्न = न्न
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अधा,
महावीधि
संयुक्त व्यंजन
संयुक्त व्यंजनों के समीकरण के स्थान पर कुछ स्वरभक्ति के प्रयोग इस प्रकार मिलते हैं ।
अनितिय (अनित्य), दविय (द्रव्य), अगनि (अग्नि) [परवर्ती काल की प्राकृतों में अणिच्च, दव्व और अग्गि जैसे प्रयोग मिलते हैं ।]
संयुक्त रूप में आने वाले नासिक्य व्यंजनों के परिवर्तन इस प्रकार पाये जाते हैं ।
शब्दों में ध्वनि-परिवर्तन
'ह' कार में परिवर्तन
न्न
अन्न (अन्य )
नह
दीह
I
त्र ( मध्यवर्ती)
खेत्तन ( क्षेत्रज्ञ), परित्रात (परिज्ञात), समनुन्न (समनुज्ञ)
न्न (प्रारंभिक)
नात (ज्ञात), नच्चा (ज्ञात्वा )
[ अपवाद के रूप में 'आज्ञा' के लिए 'आणा' शब्द मिलता है । ]
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अज्झोववन्न (अध्युपपन्न), छिन्न (छिन्न), पडिवन्न (प्रतिपन्न )
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