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विभाग-४
शब्दों में ध्वनिगत परिवर्तन
सामान्य प्राकृत भाषा के लिए ध्वनि परिवर्तन सम्बन्धी जो नियम प्राकृत व्याकरणकारों ने दिये हैं वे अर्धमागधी भाषा पर कितने प्रमाण में लागू होते हैं यही यहाँ पर प्रकाश में लाया गया है ।
[ इस विभाग में किये गये विश्लेषण से मुनि पुण्यविजयजी और पं. बेचरदासजी दोशी का यह अभिप्राय प्रामाणिक ठहरता है कि मूल अर्धमागधी में इतने प्रमाण में ध्वनिगत विकार नहीं होगा जितना आगम ग्रंथों के अधुना उपलब्ध संस्करणों में पाया जाता है ।]
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