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प्रत्येक वैद्यों के देखने योग्य पुस्तकें |
(१) सिद्धपधिप्रकाश - सिर की चोटी से ले- ( १४ ) श्रात्रेय वचनामृत –— इस पुस्तक में पुरुष
कर पैर की ऐड़ी तक के सम्पूर्ण रोगों के अनुभव सिद्ध-प्रयोग मू० ३ ॥ )
क्या हैं, वह नित्य है या प्रनित्य, पुनर्जन्म, सद्वृत, सदाचार आदि विषयों को अपूर्व पुस्तक है मू० ॥ ) ।
(
(२) मधुमेह डायावटीज़-मधुमेह रोग पर सम्पूर्ण विवेचन तथा चिकित्सा वर्णित है । मू० || ) (३) स्त्रीरोगचिकित्सा - श्री सम्बंधी सम्पूर्ण रोगों का खुलाशा निदान तथा चिकित्सा | मू० || ) (४) प्लीहा - प्लीहा नाश जरने को अचूक एवं सुगम उपाय लिखे गये हैं । मू० ॥ )
१५ ) पेटेन्ट श्रौषधे और भारतवर्ष - प्रथम भाग - इसमें पेटेन्ट बाजों की दवाइयों के नुस्खों की पोल खोली गई है । मू० ॥ )
( १३ ) पेटेन्ट औषधे और भारतवर्ष (द्वितीय
(५) राजयक्ष्मा --- ग्वालियर वैद्य सम्मेलन द्वारा पास संपादक अनुभूत योगभाला द्वारा लिखित अपने ढंग की अनोखी पुस्तक है । मु० 1) (६) दमा (श्वास) - दमा दम से जाने वाली कहावत को इस पुस्तक ने जड़ से नष्ट कर दिया है । मू० 1)
( ७ ) अर्श (बवासीर) सब प्रकार की बवासीर और मस्से दूर करने उपाय लिखे हैं ! यू० ॥ ) (E) हरिधारितग्रंथरल - समस्त रोगों के सुलभ योग भाषा टीका सहित हैं । मू० | =)
( ९ ) वैद्यक शब्द कोष --- श्रकारादि क्रम से संस्कृत दवाइयों के नाम सरल हिंदी भाषा में वर्णित हैं । म्० ।)
(१०) ब्रणोपचार पद्धति -- समस्त शरीर के
एवं घाव, दाद, खाज, श्रादि २ पर सुन्दर २ श्र चूक प्रयोग | मू० =)
( ११ ) सिद्धप्रयोग प्रथम भाग - 'माला' द्वाराजो गत चार वर्षों से प्रयोग सिद्ध ज्ञात हुए हैं, उन्हीं की श्लोक वृद्ध भाषा टीका है । मु० १ ) (१२) सिद्धप्रयोग ( द्वितीय भाग ) - इसमें 'माला'
११२७ ई० के परीक्षा किए गए योगों का घणन श्लोक वध भाषा टीका में लिखे गए हैं। मू०॥ ) (१३) यकृत और प्लीहा के रोग - हर एक मतानु सार निदान तथा प्रद्यः फलप्रद चिकित्सा वर्णित है । मू०|) भत्र
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भाग ) - इसमें प्रथम भाग की शेष तथा अन्य स पेटेन्ट दवाइयों के योग वर्णित हैं । मू० १) । ( १७ ) भारतीय रसायन शास्त्र - सोना चांदी बनाने की सरल विधियां वर्णित हैं । सू० ॥ ) । (१८) यंत्र वृद्धि - प्राचीन तथा अर्वाचीन स्वानुभूत योग हैं। मू० ।।
(१६) स्नान चिकित्सा - समस्त स्नानों द्वारा चिकित्सायें वर्णित हैं। मू० ) 1
( २० ) विन्ध्य माहात्म्य - विन्ध्यवासिनी देवी का सम्पूर्ण इतिहास | भू० १ ॥ ) !
(२१) चिकित्सक व्यवहार विज्ञान - विषय नाम से ही प्रगट है । मू० ।) ।
(२२) श्रीषधि विज्ञान - श्रायुर्वेद विद्यार्थियों पुत्र
नवीन वैद्यों की उत्तम पुस्तक | मू० १)
( २३ ) औषधि गुण धर्म विवेचन ( प्रथम (भाग ) -- पुस्तक का विषय नाम से हो स्पष्ट है मू० 1 = ) |
( २३ ) औषधि गुण धर्म विवेचन ( द्वितीय
भाग - ०1=)।
(२५) दीर्घ जीवन --गृहस्थियों के काम की अ नोखी पुस्तक है । मू० ॥ ) मात्र । (२६) सर्प विष विज्ञान - समस्त सर्पों की पहि
चान एव' चिकित्सा है। मू० १) | (२७) कोकसार – ८४ श्रासनों सहित है, इसकी शानी का अन्य कोई कोकसार नहीं निकला | सू० ॥ ) मात्र
मिलने का पता -
दी अनुभूत योगमाला आफिस, बरालोकपुर-इटावा (यू०पी०)
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