Book Title: Aavashyaksutram Part 04
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
-ॐॐॐ
आवश्यक-1६ सयं ॥ ६ ॥ अहवा अणुब्बए चेव पडुच्च एकगादिसंजोगदुवारेण पभूयतरा भेदा निदंसिज्जति, तत्रेयमेकादिसंयोगपरिमाणप्रदर्शनपरा-15
६प्रत्याख्या
नाध्य० हारिभ
न्यकर्तृकी गाथा ॥ द्रीया
श्रावकत्र| पंचण्हमणुवयाणं इक्कगदुगतिगचउक्कपणएहिं । पंचगदसदसपणइक्कगे यू संजोग कायव्वा ॥१॥ तिभङ्गा: ॥८०७॥ __ एतीए वक्खाणं-पंचण्हमणुबयाणं पुवभणियाणं 'एक्कगद्गतिगचउक्कपणएहिं चिंतिजमाणाणं 'पंचगदसदसपणगए
कगो य संजोग णातवा' एक्केण चिंतिजमाणाणं पंच संजोगा, कह?, पंचसु घरएसु एगेण पंचेव भवन्ति, दुगेण चिंतिजमाणाणं दस चेव, कहं ?, पढमबीयघरेण एक्को १ पढमततियघरेण २ पढमचउत्थघरेण ३ पढमपंचमघरेण ४ बितियततियघरेण ५ बीयचउत्थघरेण ६ बीयपंचमघरेण सत्तमो ७ ततियचउत्थघरेण ८ ततियपंचमघरेण ९ चउत्थपंचमघरेण १०॥ तिगेण चिंतिजमाणाणं दस चेव, कहं !, पढमबियततियघरेण एक्को १ पढमबितियचउत्थघरेण २ पढमबितियपंचमघरेण ३ पढमतईयचउत्थघरेण ४ पढमततियपंचमघरेण ५ पढमचउत्थपंचमघरेण ६ बितियततियचउत्थघरएण ७ बितियततियपंचमघरेण ८ बितियचउत्थपंचमघरेण ९ ततियचउत्थपंचमघरेण १०॥ चउक्कगेण चिंतिजमाणाणं पंच हवंति, कहं !, पढमबितियततियचउत्थघरेण एक्को पढमबितियततियपंचमघरेण २ पढमबितियचउत्थपंचमघरेण ३ पढमततियचउत्थपंचमघरण ४ वितियततियचउत्थपंचमघरेण ५, पंचगेण चिंतिज्जमाणाण एगो चेव भवतित्तिगाथार्थः ॥१॥ एत्थ य एक्कगेण य जे पंच संजोगा दुगेण जे दस इत्यादि, एएसिं चारणीयापओगेण आगयफलगाहाओ तिण्णि
वयमिक्कगसंजोगाण हंति पंचह तीसई भंगा। द्गसंजोगाण दसह तिन्नि सट्टा सया हुति ॥१॥
SHRESSESSASSES
॥८०७॥
MH- 45
Jain Education
na
For Personal & Private Use Only
INTnelibrary.org

Page Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208