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खोलकर देखेंगे कि मैं भीतर से कौन हूँ, मैं क्या हूँ, मैं कहाँ से आया हूँ, मेरा वास्तविक स्वरूप क्या है, मेरी चेतना कहाँ उलझी हुई है, मेरे कौनसे विकार हैं, मेरी कौनसी कमजोरियाँ हैं, मेरी क्या विशेषताएँ हैं- धीरे-धीरे हम अपने को खोलकर अपनी आत्मकथा पढ़ेंगे। विपश्यना इसमें हमारी मदद करेगी।
आज के लिए इतना ही; नमस्कार ।
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