Book Title: Vikrambhup Charitram Author(s): Vardhamansuri Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 9
________________ S Maham An Kende Acharya Sh Kailasager Gamandi विक्रम चरित्रं KA सान्वय भाषांतर ॥ ७॥ ॥७॥ विक्रमकुमारने पालखीमा वेसाडीने मुखेथी साये लेइ गयो. ॥ २० ॥ | वर्णाजविष्टरक्रोडनिविष्टं कलभाषिणम् । नृपः समं कुमारेण मुनिहंसं ननाम तम् ॥ २१ ॥ अन्वयः-स्वर्ण अब्ज विष्टर क्रोड निविष्ट, कल भापिणं तं मुनि हंसं नृपः कुमारेण समं ननाम. ॥ २१ ॥ अर्थः-सुवर्णना कमलपर रहेला सिंहासनना मध्य भागमा विराजेला, तथा मधुर बचन बोलता, एवा मुनिराजरूपी हंसने राजाए कुमारसहित वंदन कयु.॥ २१॥ ततो मुनिर्मनुष्याणां हरन्पापमिषं विषम् । वाचा सुधाद्रवाचारधारिण्या धर्ममादिशत् ॥ २२ ॥ अन्वयः-ततः मनुष्याणां पाप मिपं विष, सुधा द्रव भाचार धारिण्या वाचा हरन् मुनिः धर्म भादिशत् ॥२२॥ अर्थ:-पछी मनुष्योनां पापरूपी विपने, अमृतरसना प्रवाहसरखी वाणीथी हरताथका ते मुनिमहाराज धर्मदेशना आपवा लाग्या.२२ पप्रच्छ देशनान्तेऽथ विक्रमोक्त्या मुनिं नृपः । किं कुमारोऽयमारोग्यमारोहति न सर्वथा ॥२३ ॥ अन्वयः-अथ देशना अंते नृपः विक्रम उक्त्या मुनि पप्रच्छ, अयं कुमारः सर्वथा आरोग्य किं न आरोहति ॥ २३ ॥ भर्थः-पछी देशना पूरी थयाबाद राजाए ते विक्रम कुमारना कहेवाथी मुनिराजने पूछयु के, (हे भगवन् ! ) आ (मारो) कुमार सर्वथा प्रकारे निरोगी केम यतो नथी॥२३॥ ESAIGUERASAARESSAGES RSHEIRST For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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