Book Title: Vastradanopari Uttam Charitra Kumar Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 7
________________ तुं मलियो गुणवंत ॥ ए लखियो ने ताहरे, वखते राज्य महंत॥॥ जेहने जेहवु जोग्यता, तेहने तेहवं होय॥काने कुंडल रयणमय, नयणें काजल जोय॥५ ॥ ढाल त्रीजी । नेम लालन मोरे ___ मन वस्यो ॥ए देशी ॥ ॥ कुमर कहे सुण तातजी, तुझे कह्यं ते प्रमाणो रे॥पण मुज आगल आयq, करवा काम कल्याणो रे ॥१॥कु०॥ काम करीने आवशु, वलतुं कडं क रेशं रे ॥ जे देश्यो सुप्रसन्न थर, ते ततहण हुँ लेश्यु रे॥२॥ कु० ॥ एम कही राय चरण नमी, की, कुमर प्रयागो रे ॥ पुहवी अचरिज जोवतो, जोतो विविध विनायो रे ॥ ३ ॥ कु०॥नमतो नमतो अ नुक्रमें, नरुयड नयरें आयो रे ॥ पुरनी शोला जोव तो, हैडे हर्षित थायो रे ॥४॥कु०॥ श्रीमुनिसुव्रत देहरे, जश् प्रणम्या जिनराजो रे ॥नाव नक्ति स्तव ना करे, धन्य दिवस मुज आजो रे ॥५॥कु०॥मूरति प्रन्नु मनमोहिनी, आर्ति जगत समावे रे ॥ जनमन आनंदकारिणी, दीग स्वामी सुहावे रे ॥६॥०॥ वंग्ति दान कलपलता, नवदुःख सायर नावो रे ॥म् रति अमृतस्पंदिनी, जागे समकितनावो रे ॥७॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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