Book Title: Vastradanopari Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(४४) ए किहांश्री लाग ॥ १० ॥ पु० ॥ तेण पुरुषे कौतुक ने काज, राय कन्हें आएयो शुकराज ॥ पु०॥ रायस ना पूराणी घगुं, लोक सहु आव्युं पुरतj॥ ११ ॥ ॥ पु । मदालसा आणी इहां राय, त्रिलोचना परि यचमा गय । पु०॥ हुं ज्ञानी सघले विख्यात, तीन कालनी जाणुं वात ॥१२॥ पु॥ राजा तिमहिज कीधुं सहु, नगरलोक मलियां तिहां बहु ॥ पु० ॥ बेगे सिंहासन नूपाल, कहे जिनहर्ष अढारमी ढाल ॥ १३ ॥ पु०॥ सर्व गाथा ॥ ३६॥
॥दोहा॥ नूत नविष्यत कालनी, केम कदेशे ए वात ॥ ज्ञान किदांथी एहमां, पशु तणी ए जात ॥१॥ राजा कहोने प्रापशे, पंखीने केम राज ॥राज्यपशु केम पा लशे, अचरिज थाशे आज ॥शा कोश्क ने ए देवता, कोधु ए रूप ॥ नहीं तो पोपट पंखियो, जाणे कि शुं स्वरूप ॥३॥ पहेली नारी मदालसा, तेहनो कहुं प्रबंध ।। सावधान थासांनलो, सकल कहुं संबंधामा ॥ ढाल नगणीशमी। वात म काढो
हो व्रत तणी॥ए देशी ॥ ॥ वारु नगर वाणारसी, मकरध्वज पालो रे ॥
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