Book Title: Vastradanopari Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 42
________________ (४२) तमने हितकार। रे ॥ आतम तारूं आपणो, मनमा वात विचारी रे ॥१३॥ एण०॥ वरनी करे गवेषणा, पण न मले मन गमतो रे॥कहे जिनहर्ष पूरी इस नरमी ढालें नमतो रे ॥१॥एग॥सर्वगाया॥३४॥ ॥दोहा॥ ॥ पूज्युं शेठ निमित्तियो, कोण कन्या वरदाख ॥ ज्ञान प्रयुंजी ते कहे, साची माने नाख ॥१॥ महारा जावर एहने, मलशे एकस मास ॥ सामग्री विवाहनी, करो सगाई खास ॥॥ महेश्वरदत्त खुशी भयो, करे महोत्सव नरि॥ लगन लीयो एक मासनो, वाजे में गलतूर ॥३॥ स्वजन तेडावे दूरथी, मंगल अनुपम कीध ॥ मोहोटां तोरण बांधियां, नगरमांहे यश ली ध॥४॥धवल महावे गोरडी, वरने देवा काज॥ गज तुरंग वस्त्रान्तरण, करि राखे सहु साज ॥५॥ ॥ ढाल अढारमी॥ राजा जो मिले ॥ ए देशी॥ ॥ पुरमांहे अझ सघले वात, महेश्वरदत्त विवाह विख्यात ॥ पुण्य पामियें ॥ एतो मन मान्या सुखशा त ॥ पु०॥ सांजली राय सन्नायें राय, मनमांहे वि स्मय वली श्राय ॥१॥ पु० ॥ पहेले मांड्यो के विवाह, वरनी वात न दीसे कांहि ॥ पु०॥ कोण मा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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