Book Title: Vastradanopari Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(२) साट नोट करणाट ॥५॥ कामगार पोता तगा, मे दही चल्यो नूपाल ॥श्राव्यो गोपाचनगिरे, केवी के से कालः ॥ ६ ॥ वीरसेन राजा अयो, कटकतणी सु की बात ॥ चार अदायगी सैन्यशु, परवरियो सुप नात ॥ ७॥ सीमा प्रावी उतस्यो, मूक्यो सन्मुख दूत ॥ दूत कहां मत प्रारजे, जो पाये रजपूत ॥७॥ जो कांकल करवा मते, राखे जोरजवह ॥ तो वहेलो घर आवजे, थाशे बहु खलखट्ट॥ ए॥ ॥ ढाल बीशमी।मुज लाज वधारो रे, ।
तो राज पधारो रे ॥ए देशी॥ ॥सुणि वयण विचित्रो रे, ए तो थयो शत्रो रे, हवे छत्तमचरित्रो, युःकारण चढ्यो रे । बेलशकर मली यांरे, मांदो माहे अडियां रे, सहु सुन्नट प्राफनि या, कांकल कपड्यो रे ॥१॥रण-घोर मंडाणु रे, जाय न बंडाणुं रे, नखाणो खोजा पाडा, नेसा प्रा अंडे रे । शर चिहुं दिशि बूटे रे, बगतर कस तूटे रे, बच्चे नाल बबूटे, धरती धडहडे रे ॥ २ ॥ हयनाल हवाइरे, आवाज मचा रे, बच्चे भावी बरीना घा ब, लागे घणारे॥ सूरा एक उजे रे, गयघड मालूके हे रवि सूजे नही, अंधारूं विदामपुरे ॥३॥ पणा रो
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