Book Title: Vastradanopari Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 71
________________ 0 (७१) कारण केवली कहे ॥ए प्रांकणी । राज्य की निज पुत्रने, चारे नारि संघाते रे ॥ शकिराज्यादिको डिने, संयम सीधो मन खांत रे ॥ १२॥ २॥ वा रित्र पाली नऊटुं, तप करि कर्म खपायो तकाल अगसण करी, सुरलोक तणां सुख पायो रे ॥१३॥सु० ॥ महाविदेहें सीमशे, नप उत्तमचरित्र कुमारो रे ।। वस्त्रदानयी सुख लहां, द्यो दान सुणी अधिकारो रे ॥ १४ ॥ सु०॥ नूत वेद सायर की १७४५, माशो शुदी पंचमी दिवसे रे ॥ उत्तमचरित्र कुमारनो, में रास रच्यो सुजगीशे रे ॥ १५ ॥ सु०॥ श्रीजिनवर सुप्रसादश्री, श्रीपाटण नयर मकासेगा गाथा सत्याशी पांचशे, उगणत्रीझमी ढास नदारों रे ॥ १६ ॥ सु०॥ श्री खस्तर गड गुण-निलो, श्री निनचंद सूरिदो रे ॥ वाचक-शांतिदर्ष मशि, जिन हर्ष सदा पाणंदो रे ॥ १७ ॥ सु०॥२०॥॥ R ETARI ६॥इति वस्त्रदानोपरि श्री ननमचरित्र र कुमार रास संपूर्णः॥ 4 ग्रंशा गंशनoym - Rececrack Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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