Book Title: Vastradanopari Uttam Charitra Kumar Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 5
________________ ( ५ ) धीरजवंत गजगाह ॥१॥क० ॥ रणवनवासी गा म नगर फरे रे, जोतो ख्याल अपार ॥ नमतोल मतो चित्रकूट आवियो रे, एकलडो शिरदार ॥२॥ क०॥महिसेन राजारे तेरो पुर राजियो रे, देश जे हनो मेदपाट । जेहने पोतरे बाणुं लख मालवो रे, मरु मंडल करणाट ||शक०॥ देश घणाना रेनस्पति नलंगे रे, पुहवी प्रबल प्रताप ॥ निशदिन सीणोरे रहे जिन धर्मशुं रे, जाणे राज्य संताप ॥४॥क०॥ पुत्र नहीं रे राजधुरा घरे रे, केहने आपुं राज ॥ योग्य नही रे को राज्य पालवा रे, गेडतां पण लाज ।। ॥ ५ ॥ क०॥ नत्तम कोइरे जो पुण्यवंत मिले रे, तो तेहने देनं नार ॥ नियत करुं रे आतम साधना रे, सेनं लेनं संजमनार ॥६॥क। एक दिन रा जारे रमवा निसस्यो रे, साथै बहु परिवार ॥ नव वय वारु रे लक्षण सुंदरू रे, घ घोडे असवार ॥७॥ क० ॥ नवल वरो रे चंचल गति नहीं रे, पूले में त्रीने नूप ॥ कहो केम मंदगति ए अश्वनी रे, कोई न जाणे स्वरूप ॥ ॥क ॥ वली वली पूरे को बोले नही रे, कोइ न नाखे विचार ॥ राय स मी रे अश्व निहालीने रे, आव्यो नत्तम कुमार ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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