Book Title: Vastradanopari Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 29
________________ ( ए ) तल संग्रहो, गुण पान पाषाण ॥२॥ मरवाने नद्यत थई, वृक्ष कहे तेति बार || म मर म मर मूरख म मर, सांजल कहुं विचार ॥ ३ ॥ फांसो विषन क्षण करे, पाणी अग्निप्रवेश ॥ गिरितरुवरथी पडी मरे, कुमरण कहियें एस ॥५॥ एह मरणथीनवों नवें, लहिये मरण अह ॥ पुण्ये मलशे जीवतो, तुज प्रीतम सुसनेह ॥५॥ ॥ ढाल बारमी । नणदल हे मोहन मुदरी , .. ले गयो । ए देशी॥ ॥शेठ कहे आवी करी, रूडां वयण रसाल ॥ हे व निता सुण वातडी, तुं म पड म पड खजाल ॥१॥ रमणी हे मान वयण तुं माहरूं, माहरुं वयणतुं पाल र०॥ए आंकणी॥मित्रअमूलक माहरो, नत्तमचरित्र कुमार॥ ते मुजने नवि वीसरे हो, साले हियडा मकार ॥शार०॥ पुण्य हुवे तो पामिये, मन मान्या मित्त ॥ नयगवयग रलियामणा हो,पाले अविहड प्रीत ॥३॥ र०॥ खाणां पीणां खेलगां,न गमे मीग नाद॥ वात विगत गुणगोठडी हो, लागे सहु निःस्वाद भार०॥ उःख म कर तुं गोरडी, फुःख कीधे शुं थाय ।। मून ते जीवे नही हो, जो वरसां सो श्राय ॥५॥ २०॥ चतुर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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