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ख्यो, अमरकेतु किनास लाल रे ॥ कुमर कहे हुँ । बखुं, में जीत्यो २ तास लाल रे ॥ ५ ॥ कौ०॥ पूर्बु तुजने मावडी, केहनो ए प्रासाद लाल रे ॥ तुं कोण केम बेठी इहां, कहे मूकी विखवाद लाल रे ॥६॥ ।। कौ० ।। वचन सुखी बलवंतनां, वृक्षा कहे सुग वीर लाल रे ॥ तुं सत्यवंत शिरोमणि, दीसे गुण मंन्नीर लाल रे ॥७॥ कौ०॥ राक्षसहीप इहां ढू कडो, लंका नयरी इस लाल रे ॥ ब्रमरकेतु राक्षस बली, राज्य करे अवनीश लाल रे ॥७॥ कौ० ॥ कन्या तास मदालसा, सयल कलानी जाग लाल . रे॥ लक्षण अंगे शोन्नता, रूपें रति पिकवाण लाल रे॥ए॥ कौ०॥ देवकुमरीने सारिखी, एहवी नहि को अन्य लाल रे ॥राय जगी वाटही घणं, पोते पुण्य अगएय लाल रे ॥१०॥ कौ०॥ ब्रमरकेतु नृप एकदा, नैमित्तिक पूह लाल रे ॥ मुज कन्या वर कोण दोशे, कदे विचारी तेह लाल रे ॥ ११ ॥ ॥ कौ० ॥ एहने वर नूचर होशे, कृत्रिय राजकुमा र लाल रे ॥ हिमवंत सीमा राज्यनी, दक्षिणलंका धार लाल रे ॥ १३ ॥ कौ० ॥ महाराजाधिरा जा होशे, दल बल जास अपार लाल रे ॥ विद्या
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