Book Title: Vastradanopari Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 21
________________ (१) हो रायकुमर पण तेहनु, जीहो मोटो देखी रूप ॥ जोहो चपल नयण चोटी गयो, जीहो जाग्यो प्रेम अनूप ॥ ११ ॥ लं॥ जीहो बेहुनो राग जो करी, जीदो वृक्ष नारी ताम ॥ जीदो गंधर्व विवाह करी तिहां, जीदो परणाव्यां तेणे गम ॥ १२ ॥ लं०॥ जीहो पृथिव्यादिक चारे जलां, जीहो पांच, रतन आकाश ॥जीहो प्रानाविक पांचे जलां, जीदो देवा घिष्टित खास ॥१३॥ लं०॥ जीहो पांच रतन मदा लप्ता, जीहो लेश वृक्षरे नारि ॥ जीहो आव्यो कुमर नतावलो, जीहो तेणिहिज कूप मकार ॥१४ालं०॥ जीहो समुदत्तना आदमी, जोहो जल काढे तिणी वार । जीहो कहे जिन दर्षे शुं हवे, जोहो नत्तम च रित्रकुमार ।। १५ ।। लं०॥ सर्वगाथा ॥ १७॥ ॥दोहा॥ ॥ बाहिर काढो मुज नणी, नाखे एम कुमार ॥ रङ प्रयोगें निसस्यां, त्रणे जण तेणि वार ॥१॥ सघ ले विस्मय पामियो, अचरिज वयुं अपार ॥ जलदेवी के किन्नरी,के अपर अवतार ॥शा कुमरनणी प्र. सद, सुरकन्या कोण एह ॥ सहु वृत्तांत सुणी श्श्यु, हरख्या सहु नर तेह ।। ३॥ प्रवहण चढोने चालि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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