Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ . दिन बाद आया वह बोला-'हे वत्स ! पूर्व दिशा में महेन्द्रपुर नगर में त्रिलोचन राजा राज्य करता है उसके गुणसुन्दरी नाम की एक __ सुशीला रानी है। उनके रूप और गुणों से सुशोभित सुलोचना नाम की एक पुत्री है, परन्तु वह जन्म से अन्धी है। चौसठ कलाओं से युक्त युवावस्था को प्राप्त हुई वह राजकुमारी हृदय रूपी दृष्टि से नाम श्लोक प्रादि लिख लेती है। त्रिलोचन राजा ने मन्त्रियों की सलाह से पटह मजवाया है कि जो कोई भी सुलोचना को देखती करेगा उसे प्राधा राज्य तथा कन्या दे दूंगा। इस पटह को बजते आज पांच महिने हो गये हैं अब पता नहीं सुलोचना के भाग्य में क्या लिखा है / छोटे 2 तोतों ने पूछा 'पिताजी वह अन्धी पुत्री देखती हो जाये ऐसी औषधी कहां मिलेगी।' बूढ़े तोते ने कहा कि किसी बड़े वन में हो सकती है।' तब उन्होंने कहा कि 'क्या इस बन में है ?' बूढ़े तोते ने कहा कि होसकती है परन्तु यह बात गुप्त रखने योग्य है इसलिये रात्रि को नहीं कही जा सकती।' बच्चों के हठ से वृद्ध तोते ने कहा कि "इस वृक्ष के मूल में दो प्रभावशाली बेलें हैं / एक विशाल पान की अमृत संजीवनी बेल अन्धे को देखता करती है और दूसरी घाव हरणी गोल पान की बेल है जो घाव को तुरन्त भर देती है।' उस वार्तालाप को सुनकर परोपकारी राजकुमार ने हर्ष से दोनों प्रौषधियों की बेलें ली और पूर्व दिशा की मोर रवाना होगया। तीन दिन चलने के पश्चात् एक सुनसान देश में पहुँचा। वहां एक शून्य नगर था / उसमें बाग, सरोवर, बावड़ी और वृक्ष भी थे, केचे 2 किल्लों, महलों से और मोहल्लों से वह शहर बहुत सुन्दर दिखाई दे रहा था परन्तु सबसे बड़ी कमी यह थी कि वह बिना राजा का था। अन्दर बाहर सब जगह सुनसान थी / राजकुमार को P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust