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सम्मति (सलाह)
१. नेवरगिव एडवाइस अनलेस आस्कड़ ।
-जर्मन-लोकोक्ति जब तक पूछा न जाय, कभी सलाह मत दो ! २. शुभं वा यदि वा पाप, दुष्यं वा यदि वा प्रियम् । अपृष्दस्तस्य तद् ब्रूयाद्, यस्य नेच्छेत् पराभवम् ॥
-विदुरनीति २।४ मनुष्य को चाहिए कि वह जिसकी पराजय नहीं चाहता, उसको बिना पूछे भी कल्याण करनेवाली या अनिष्ट-करने
बाली प्रिय अथवा अप्रित्र जो भी वान हो, बता दे ! ३. भीड़ के स्थल पर सलाह मत दो !
--अरबी-लोकोक्ति ४. कोई सलाह ले तो युधिष्ठिर की तरह उसके हित की
दो, न कि अपने हित की, क्योंकि वह अपने हित के लिए पूछता है, न कि तुम्हारे हित के लिए। जैसे किसी के हाथ, पैर, कान, नाक, जीभ आदि काटना एवं आंखें फोड़ना महापाप है, उसी प्रकार बुरी सलाह देकर किसी का हिया फोड़ना भी महापाप है ।
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