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वैराग्यशतकम्
* पडे तो तेने परj, पण स्त्रीयोनी साथे भोग भोगवू नही. एवो त्याग करीने, फरी घेर आवी मात पिताने कयु के, al
भाषांतर हे माता पिता !! मने आज्ञा आपो, हुं श्री सुधर्मस्वामी पासे दीक्षा लेउ. त्यारे माता पिताए कहुँ के, हे पुत्र ! |
दीक्षा पालवी घणी करो एवीरीते घणो घणो समजाव्यो. तोपण जंबकमारे मान्यं नही. त्यारे माता पिताए 16] कडं के, हे पुत्र ! आठ कन्याओ साथे तहारं सगपण करेलं छे, माटे तेने परणीने पछी दीक्षा लेजे. ते सांभली ||6|॥ ७३ ॥
| जंबकुमार मौनपणुं धारण करी रह्या. त्यारपछी माता पिताए, आठ कन्याओना पिताओने का के, अमारो पुत्र | वैराग्यवान् थयो छे, माटे तमारे दीकरीओ परणावधानी मरजी होयतो भले परणावो. पण ते कन्याओनो त्याग र | करीने जो दीक्षा ले, तो अमारो दोष कहाडशो नही. ते सांभली सर्व शेठिया कहेवा लाग्या के, अमे नही परणावीए. पण शेठीआओनी दीकरीओए कहां के, अमे तो जंबूकुमारनेज परणीशु, पण बीजाने परणवानो त्याग छे. त्यारे शेठियाओए पोतानी पुत्रीओने का के, एतो दीक्षा लेशे. तोपण दीकरीयोए को के, ए दीक्षा ले तो भले पण अमे तो एनेज परणीशं. पछी ते एक रात्रीमा आठे कन्या परण्या, अने रात्रि शय्या उपर बेसीने सर्व स्त्रीयोने कमु के, हुं तो प्रभाते दीक्षा लेइश. केमके. आ संसार सर्व अनित्य छे, कोइ कोइनी साथे आवनार नथी. त्यारे स्त्रीओए का के, हे स्वामिन् ! तमे हमणां दीक्षा लेशो नही, हमणां तो जे संसार सुख मल्यु छे, ते सारी
रीते भोगवीने पछी दीक्षा लेजो, नहि तो कर्षणीना न्याये पश्चात्ताप करशो. जेन कोइ मारवाड देशनो Masall कर्षणी, पोताने घेर घउं वावीने पछी मेवाडमां पोताने सासरे गयो, त्यां तेनी सामुए सारा
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