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| सहित
वैराग्य- आ ग्रंथना जणाव्यु छे के सागरोपमर्नु तथा पुद्गलपरावर्तन, स्वरूप ग्रंथने अंते जाणवीशुं. तो ते जणावीए छीए.
भाषांतर शतकम् अति सूक्ष्मकालने एक समय कहे छे. तेवा असंख्याता समये एक आवली थाय. तेवी (१६७७७२१६) एकक्रोड | ॥१७१॥
४ मडसठ लाख शित्तोतेरहजार यशे ने सोल आव टीये, एक मुहर्ने थाय छे. तेवा त्रीश मुहर्ने एक अहोरात्रीरूप :
| दिवस धाय छे. तेवा पंदर अहोरात्रीए एक पखवाडियुं थाय . तेवा बे पखवाडिये एक महिनो थाय छे. तेवा बार |J ॥११॥ FI महिने एक वर्ष धाय के तेवा असंख्याता कोडाकोडी वर्षे एक पेल्योपम थाय छे. तेवा दश कोडाकोडी ५ | एक अद्धा सागरोपम थाय. ॥ इति सागरोपम प्रमाणम् ॥
१ इहां पल्योपम त्रण प्रकारना छे. ते कहे छे. १ उद्धार पल्योपम २ अद्धा पल्योपम. ३ क्षेत्र पल्योपम. तेमां वली एककना || बादर अने सूक्ष्म एवा वे भेद छे. तेमांना अद्धा पन्योपमनु स्वरूप जणावीए छीए केमके, आ बादर अद्धा पल्योपमे करीनेन | जीवोनां आउखां कायस्थिति, कर्मस्थिति, पुद्गलस्थिति आदिकनु प्रमाण गणाय छे माटे, ते अद्धा पल्योपमना पण मूक्ष्म अने बादर एवा वे भेद छे, तेमां प्रथम बादर अद्धा पल्योपमनुं स्वरूप कहीए.
देवकुरु उत्तरकुरु क्षेत्रमा जन्मेलां जुगलियांना बाल ते एवा के. जे जुगलने जन्मे एक बे यावत सात दिवस थया होय, तेवा RMI जुगलियाना केश (वाल) लेइने तेना एवा ककडा करवा के, ते ककडानो बीजो भाग ककडो थइ शके नहीं. तेवा वालाग्रने च्यार |
गाउनो लांबो, च्यार गाउो पहोलो अने च्यार गाउनो उडो एका कवोमां ते वालाग्रहने एवा ठांशीठांशीने भरीये के तेना उपर
___JainEducation Internation201005
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