Book Title: Vairagya Shataka
Author(s): Purvacharya, Gunvinay
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 138
________________ शतकम् लोभे करीने कनककेतु राजाये पोताना पुत्रोनां सर्व अंग छेदन को. बली नीतिशास्त्रना कर्ता चाणाक्ये राज्यना बैराग्य. लोभे करीने पोतानो मित्र जे पर्वत नामे राजा, तेने मारी नाख्यो. वली पोताना स्वार्थ माटे सुभूम चक्रवर्तिये || भाषांतर सहित ब्राह्मणोनो अने क्षत्रियोनो क्षय कर्यो. एवीरीतनां अनेक दृष्टांतो छे, ते जो लखवा बेसीये तो तेनो एक महोटो | ११३६॥ ग्रंथ धता पण पार न आवे. माटे विचारवान आटलुं छे के, __पुत्रो मे भ्राता मे । स्वजनो मे गृहकलत्रवर्गो में ॥ इतिकृतमेमेशन्दं । पशुमिव मृत्युर्जनं हरति ॥ १॥ ___ अर्थ-तुं रात्री दिवस एवं विचारे छे के, आ महारो पुत्र, आ महारो भाई, आ महारां स्वजन, आ माहरु घर | Jd आ महारां स्त्री आदिक वाल्हेशरी, परंतु ए प्रकारे बोलनारने जेम घातकी पुरुष, ३ ३ करता एवा बोकडाने हरग OS oil करे छे. तेम मृत्यु जे ते, मे मे (महारं महार) करता प्राणीने पकडीने लेइ जाय छे. RI माटे तेना उपर ममत्व करवाथी उलटुं पाप बंधाशे, पण तेमार्नु कोइ मरी जशे, त्यारे तेमांथी कोइ पण ते IA मरनारने राखवा समर्थ थतुं नथी, एटलुंज नहि पण, पोताना स्वार्थमां खामी आववाथी, थोडा दिवस रुदन करी JE "गयेलाने भूली जq" ए रीवाज प्रमाणे तेज संबंधीयो तेने विसरी जाय छे. जेम पोताना वीश वर्षना पुत्रना मृत्य || Id समये फक्त मोहना उछालाधी (गाढ स्वरे लांबा रागे वुमो पाडी) रुदन करनार अने छाती कुटनार पिता, पोताना or बीजा पुत्रना लग्न समये, ते मृत्यु पामनारने भूली जइ, वर्तमान समयना उत्साहमा पूर्ण हर्षथी दाखल थाय छे. RS A एज रीते अत्यंत स्नेहवाली स्त्री (भार्या) ना मृत्यु पछी, तेज भर्तार बीजी स्त्री साथे विवाह करी जाणे आ संबंध || ___JainEducation inten 0 10_05 For Private Personal use only w.jainelibrary.org

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