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नु. १०५
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एवं हवई बस्तुए ॥ २८ ॥ बे ए १४ मीनुपमा जे० जेमतेमेरूपर्वतमा | कही ||१४|| २८ || जहा सेन गणपवरे
प्रतिपूरपा लस्योजेम ए० एमहीए बहुश्रुतरुवे नुपमामसेचे साधु साधवि श्रावक श्राविकाना समूहनो आधार ते रूपीनेकोग २० प्रमादादिके नदर . ११ कोवार बिराजे
एवं हवइ बहुस्कए । २६ ।। चोरादिकना लयथी धर्मध्यान लोग जकमादिकें करी लसीपरें राज्योबे | ३ नाशा मंगळपांग कालिक मुत्कालिक सूत्ररूप ज जेमते वृक्षमांहे प्रधान जंक जंबूवृन्द बीजूं नाम सुदरसन नाटियएवेनामें देवनो धने लख्यो बिराजे. ए १२ मी नृपमाकही ।। २६ । जहासा डुमाएा पवराजंबू नाम सुदंसणा ॥ एाहिय निवासचे ते अंबूवृक्ष विराजे एक एमहोएब श्रुतहवेनुपमा सामान्य साधु रूपवृन्दामांहे प्रधान बहुश्रुतरूप जंबूदृष्प सामान्यसुख रूपी या बहुस्सु ॥ २७ ॥ अमृतफल व्याप ते मारे लसादरसनमाटे मला सुदरसन २ पाटि ज० जैमने सकलनदीमा हे प्रधान स० नदी समुद्रमांगइलसी सी० सीतानदी भी ० नीलवंतप जहा सनईएपवरा सक्षिसासागरंगमा सीया नीखवंतपवहा तिथी निकसीबिराजे ए. एमहोए बहुश्रुत हवे नृपमा साधु रूपनदीमांहे प्रधान निर्मण श्रुतज्ञानरूप जपें भरी नदी २ सा० मुक्तिरूपसमुद्रमाहे मसी बहुश्रुत रूपिणी सीता मोटिमांहे ६ नीलवंत भोटा उत्तमकुलधी निकष्याने प्रगटपो प्रधान सु० विहे मोदोमंद एबेनामें पर्वत ना अनेक प्रकारनुषपीकरी देदीप्यमानवकोपि १०५ सुमहंमंदरोगिरी नाणोसहिषद्यलिया । राजे
स्स देवस्स एवं हव देवाधिदेवनो बहुश्रुतने विषेवास ए१३मीनुपमाकही || १३ ।। २७ ।।
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