Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

View full book text
Previous | Next

Page 407
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie ४५ हादिकनो बैंकनदी प्रमंपनी - बा-बादरजे पपर्याप्तापविकाय कुबेप्रकारे ते कह्या तीरयंकरें ससुहालीपृथियीत्व करणपृथवीबोजाएायी स० सुहालिसा ||३६ बायराजेनपद्यत्ता। विहातेवियाहिया। साहारवरायबोधवा । सएहासत्त सातप्रकारे तिम ५२ किन्कासी नी नीली रु० राती वली हा-पीली सुधोली तेमज पपांफरेवणे गोपीचंदनसरषीपन्थति विहातहिं ॥ १२ ॥ किएहानीसायरुहिराय । हासिदासुकिलातहा । पंपएगमडिया हे जीपी रेफीजेसचित्त व कठपायविनर बत्रिसप्रकारे कहीनीर वी पानीमाटीसम्पुरमादिकाका ए रेफी रखराबत्तिसविहा ॥७३॥ करें३ पुढवियसकरावालुयाय"। नवलसिसायसोएएसे।। अपारी घूस ७ खोह तंत्रांबू सरूपो १२ सुवर्ण१३ वजहीरा १५ ॥ ३५ ह हरिआस १५ हिगलो १६ मन्मणासिल१७ सा रत्न अयतंबत सीसा ।रुप्पसुवन्नेयवरेय ॥७॥ हरियालेहिंगुखए। मएोसिसासा नीजात प्प परवालो अन्याललाजसकोसयालयासहित धूल वा एकबादर पृथविकायना लेद म मणिनात्लेदकेगे गो गोमि सगंजपाप्पवास। अन्नपखवाया। बायस्काएमपि विहारो॥१५॥७५ गोमिद्या यरत्न २३रुरुचकरत्न २५ अंअंकरत्न २५ फाफटिकरत २६खोहिताय मरकतरत्न २८ म. सारगलरत्नरल लुजनोचकरत्न नीच ५५५ एयरूयगे। अंकेफलिहेहिखोहिय। मरगयमसारगट्ो। लुयमोयगइंदनीदेय ६॥ जातरून सासा। दरल२७ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447