Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

View full book text
Previous | Next

Page 408
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie चंदनरत्न गे गेरूकरत्नह हंसगर्लरत्न पुःपुसकरत्न सोब्सोगंधकरत्न जाणयो -चंडात्न३५बै वैझर्यरत्न २८ ज-जषकातरत्न अ-३६ चंदागेरूयहंसगश । पुसएसोगंधिएयबाचवे । वदपत्नवेरुखिए। जबकंतेसूर ३९ मत्सरकातरत्न | ए नामम्व सहाला ७ एसर्व एतेमध्ये घटाषी चैलुया १ सैष्टर ससा ३ इदंत्रएाएकजातखोएकसेर कंतेय ॥७॥ एएरवरपुढविए । जानअन्नपफल १ अनवात १ एकजातए। रासीबाकी भगवतें। ले लेदएसर्वस्वर पृथवीबबीसकह्यातीर ए एकप्रकारें अ० फेरनथी घणाप्रकारेंनयी सुसूक्षमपंथविकायनाजीवत्तानियां पिषिकायना लेयाबत्तिसमाहिया । थंकरें एगविहमनात्ता। सऊमातन्त्रवियाहिया ॥३॥ लेदमाहेकह्या स सूक्षमपविकायनाजीव स सर्वखोकमाव्यापी सो खोकने एकेकदेसविलागेबा चादरपृथिवि ए एसूकमबादरपृथची | | तीरथंकरे ७८ समासबलोगमि । रह्याने सोगदेसेयबायरा । कायना जीव एनोकासवित्लागंतु | नोलेदकहेडेकाका तेल तेकासनो नेद वो कहे सुरुच प्र| सं.एसूक्ष्मबादर प. पृयविकायनालेद । अन् अनादिकाषनाले लेोपण जिना | सनीलेदकेने तेसिवोउंचनविहं ।।७५ कारे संतश्पप्पएाश्य । आश्री अपद्यवसियावियं । विज्ञा नुषाश्री सन्मादिसहिनसन्मानुषानोबेगो आवे तेलपीअंत बा-बावीससहस्त्र. बाच्चरसहन्ननकृष्टि थिति | ४४६ पच्चसाश्या । सपद्यवसियाविय ॥ ८॥ सहितपण्डे ८० बावीससहसाई।वासाकोसियालये। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447