Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah
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रहिवोले स० सरीरवंनअनंतकायने घपोप्रकारेंनेकह्या आ कंदमूलनी जातमूसों सि आफू त नेम १७ ह. हरिषि मिरिषि १६ पोगहातपकित्तिया । आलए मूलएचेव। सिंगबेरतहेवय ॥॥ हरितिसिरिषि स ससिरिसि ए प्रपाकंदमूलाजा जावोके केयकैदखीएपण कंदमूल प पसंखसएकंद एबेकंद सनी जाते कच्कंदतीय|| ससिरिखि । नी जानि 'जावश्य कदसी। पखंखसएकंदेव । कंदकु० कुरूवएएपणकंदमूखनीजान ८८ सो सोहिणी एपण कंदमूल कुंकुंदगन तेमज किकृष्णक बच्चन || सीयकुलूपए ॥८॥ खोहिणियलय। कुंदगायतहेवय। किएहेयवध कंदएपणकंदमूखक. कंदसूरए तक तेमज अ.अश्वकपीए पण कंदमूल बोल जाणवो सी. सीहकर्णि-एपणकंद | कंदेय । कंदेसूरपाएनहा ॥ ॥ अस्सकन्नीयबोधवा। सीवन्नितद्देवय। सत्त) मु मुसुढिनीति हसद एपणकंद | अघपोमकारेएआदिदेईने १०० ए. एकप्रकारे अपपोमकारेनयीसुः सूक्षम | तेमज मुरूढिहाखिदाय । मूष ऐगहाएवमायने॥ १०॥ एगविहमनाएत्ता । सझमा | तिहां यनस्पतिकह्या हवेवनस्पतिषे सुव सक्षमसर्वसोकनेविषेव्यापीरयाबे सो सोकने एकवित्मागेडेबावर १०९संवेवनस्पनिकायबला |७५० तबवियाहिया ।प्रथीकहेडे सुझमासबलोगमि । सोगदेसेयबावरा ॥ १०१॥ संतश्पप्पएगा |
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