Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

View full book text
Previous | Next

Page 412
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ઇપs रहिवोले स० सरीरवंनअनंतकायने घपोप्रकारेंनेकह्या आ कंदमूलनी जातमूसों सि आफू त नेम १७ ह. हरिषि मिरिषि १६ पोगहातपकित्तिया । आलए मूलएचेव। सिंगबेरतहेवय ॥॥ हरितिसिरिषि स ससिरिसि ए प्रपाकंदमूलाजा जावोके केयकैदखीएपण कंदमूल प पसंखसएकंद एबेकंद सनी जाते कच्कंदतीय|| ससिरिखि । नी जानि 'जावश्य कदसी। पखंखसएकंदेव । कंदकु० कुरूवएएपणकंदमूखनीजान ८८ सो सोहिणी एपण कंदमूल कुंकुंदगन तेमज किकृष्णक बच्चन || सीयकुलूपए ॥८॥ खोहिणियलय। कुंदगायतहेवय। किएहेयवध कंदएपणकंदमूखक. कंदसूरए तक तेमज अ.अश्वकपीए पण कंदमूल बोल जाणवो सी. सीहकर्णि-एपणकंद | कंदेय । कंदेसूरपाएनहा ॥ ॥ अस्सकन्नीयबोधवा। सीवन्नितद्देवय। सत्त) मु मुसुढिनीति हसद एपणकंद | अघपोमकारेएआदिदेईने १०० ए. एकप्रकारे अपपोमकारेनयीसुः सूक्षम | तेमज मुरूढिहाखिदाय । मूष ऐगहाएवमायने॥ १०॥ एगविहमनाएत्ता । सझमा | तिहां यनस्पतिकह्या हवेवनस्पतिषे सुव सक्षमसर्वसोकनेविषेव्यापीरयाबे सो सोकने एकवित्मागेडेबावर १०९संवेवनस्पनिकायबला |७५० तबवियाहिया ।प्रथीकहेडे सुझमासबलोगमि । सोगदेसेयबावरा ॥ १०१॥ संतश्पप्पएगा | - For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447