Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah
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न. इ० ए| मकारें वैमानिक कह्या म घोप्रकारेंए• एत्र्यादिदेशने देवताका १७ हवेदेवतापेथी | लो० सोकना एकवि लागने विषे ते समता
४७३
इश्माणियाए । 'एरोगहाएवमायनं ॥ २९९ ॥ कहे लोगस्स एगदेसंमि । तेस
ए० कयापी हवे कालविचार
० तेदेवनानी के कहसुं च० च्यारभकारें हवेदेवताकालयी संनेदेवताताच्या तेसिबोच्चचनुविहं ॥ २१६ ॥ कहेने संतझपप्पा
१९ सा०जारासा
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त्र्य. ३६
देवता का
परिकित्तिया । एत्तोकास विभागंतु ।
श्री
सतासहित
म० अनादि बेडेकोपानथी कि वितियादिसहित | श्या । प्रपद्यवसियाविय। विश्पमुच्चसाश्या । सपद्यवसियाविय ॥ २१९ ॥ साहियंसागर सोगरएक न• नत्कृष्ट मानुषानी यिनि लो. लवनपति बसेंडादिकनी ज० अघन्यस्थिति दस हजार वर २२० प० पस्योप
1
एकं । नक्कोसेांक्लिवे । लोमेद्याएं जहन्त्रेां । दसवाससस्सिया ॥ २२० ॥ पसिने म दो० बेनपाकाश्क न नृत्कष्टिबि कही म० असुरकुमारें न बरजीने बीजात्र्मसुरकुमार देवतादिकलवनपतिनी यिनि जधन्यदसहे | वमदोनणा । नक्कोसेएाविचाहिया । सुरिंदषचित्तां । जार २१ प० पस्योपमएकनी ० उत्कृष्टिथिति होए व्यं व्यंतरनी ज० जघन्य द० दशहजारवरसनी २२ १३१ पसिने॒वममेगंतु । जोसेलिवे। व्यंतराजहन्नेां । दसवाससहस्सिया ॥ २२ ॥
जहन्नादससहस्ससा ॥
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