Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

View full book text
Previous | Next

Page 418
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | चन्डी पं.पंचेंडी पूरणे २५ हवेऽव्ययीक बे. बेंबीजे जीवते. मु. बेप्रकारे कह्या प पर्या ३६ | य । चनरोपंचिंदियाचेव ॥२३॥ हुने बेइंदियानजेजीवा । विहातेपकित्तिया । पब सामने अपर्याप्ता ने तेबेंदीनालेदमु सामसो सुजने कहलथिका कि सरमियाविष्टामाहे नपजेतेसोमंगवा अन्अप्पसिया मपद्यत्ता । तेसिलेएकसरोहमे ॥२८॥ २८ किमियोसोमंगसाचेवा अासामा मा जेलले असघपाकांटाकरीने लुगसीनासरा व वांससीनासरपोमुष बेजेनोलेनोनामहोकरिवासिमुहा० पूरपोसि सीयसन याहया। धरती पाएनेमा रहे वसिमुहायसिप्पिया । संस्कासंस्काएगातहा ॥ २० ॥ नानासंषमा अथवा बेंडीनीजानएपगबेंडीनीजातचे पूरऐन तेमजबकनमा जजसो जाबेंडीजात पूरये सीपनीजाति संघ २९ घलोयाअएतयाचेष। तद्देवयबरामगा। जागाजासगाचेव। चं. चंदगिया नेमज ३० ३०एणेप्रकारें बे० बेंडीए अघोप्रकारे कह्याने आदिदैईनेहवे.डी सो सोकनाए चंदपायतहेवया ॥३५॥ शनिबेशंदियाएए। ऐगहाएवमायए । क्षेत्रथीकेडे खोएगदेसते कायित्नागेस सर्वनधीसघबैंडीकह्या १३१ हवै कासयी सं० उनाश्री अ. अंतरहिन अनादिनाअंतरहितले. | ०५६ सद्दे । नसबनवियाहिया ॥१३१ ॥ संतश्पप्पएाश्या । अपद्यवसियाविय ॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447