Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

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Page 413
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६ अन् अनादिकासनो डेमोपणनयी नित्यवस्विति आश्री आदिसहितडे सथितिपूरियाए तिबारेमा सहितपणडे २ श्या । अपद्यवसियाविय। विश्पमुच्चसाश्या । सपद्यवसियाविया ॥२॥ द दसपूरणे सहस्र हजार वा बरसन नत्कृतिथिान व वनस्पति कायर्नु आन अं अनसुन ज जघन्यस्तिति ३ | दसचेवसहस्सा। वासाकोसियानवे ।वपस्सश्एंान्तु। अंतीमुशतंजहन्नयं ॥३॥ अन् अनंतोकापनुत्क्रष्टि यिनि अंतर्मुशन ज.जघन्य स्थिति का कायस्तिति प० नीसँफूलनीगोदिया त० तेअनंतकासनीका अपामक अवंतकालमुक्कोसा। अंतोमुशतंजहन्निया । कायपिणगाणं । दिक तंकायंतुअमुंच ला असंष्याताकासनुन उत्कृएतरु अंगअंतमुर्तजघन्यांतस वि दायिक स पोतानीवनस्पती पन्नीलसप्रमुषअनंतकायनात्म असंखकासमुक्कोसं । अंतोमुतनंजहमगं । विजहंमिसएकाए। पपगंजीवाएंअंतरंगा ए०एवनस्पतीनाजीव ब वर्गाचीगं गंधयी रसयी फार फरसपीसं संस्थानना आदेसलेदयी विक नेदना हजार १०६ एएसिवमनचेव। गंध रसफासने। संवादादेसनवावि । विहागासहस्ससो॥१६॥ ३० एपूर्वकह्याथावरजीब ति अयो। स-संपेंवि का एनाथावरजीवकयापबीन त्रसजीवनि-त्रणप्रकारेबोगशिष्यानेगुरुकहेडेमकतंबु || ४५१ श्च्छतेथावरातिविहीं समासेएवियाहिया ।एत्तोनुनसेनिविहे । वोच्चामिअणुपुत्वसो॥७॥श्र-अनुक्रमें|| वपामवाश For Private and Personal Use Only

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