Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

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Page 405
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ.३६ प्रात 'सान | खोल्सोकना अंतर्समो वि० कह्यो तीर्थकरें ६२ जो० एक जोजनप्रमापनिा ५० सहसनकोस थाए त तिहांसिदासिलथिकी एतसे ४७३|| खोयंतोनवियाहिने ॥६२॥ .. जोयएस्सनुजोतब । ३९ सहस्त्र अनेलगानहेगा मूकीए ते. को कोसनु नपल्योजे ते एककोसना बगलागनेविषे सि. सिझनीन अवगाहना एनसे प्रमाणे ए६३ त तिहांमो | कोसोनवरिमोलवे। तस्सकोसस्सबनाए। सिद्धागोगाहपानवे ॥३॥ तसिहा | कनेविषे सि सिद्धलगवनम सो० लोकना अग्रनेविषे रद्यांडे ल संसारमाहे नारकीप्रमुष भवनाप्प विस्तारपैकी सूकाणायका महालागा। घणी" सोयग्गंमिपविया । लवप्पवंचनम्मका । प्रधानगति पक्ता . . सिक मोक्षरूपिणी ६५ नः सरीरनो चंचपए जा जेमनुष्यलबनोजो जेवोन लन्मनुष्यत्मवच बेसात्नवने विषे तित्रीने सिडिंवरगरंगया ॥६॥ नस्सेहोजस्सजोहो । माए होए लवंमिचरममिले। निलाग नवे हीपाथिया न मनुष्यलवनीदेहीए सि सिड्नी अवगाहना तए ६५ ए• एकलो एकसूिर सान्पादिसहि अच्छेमा हीपातत्ताय । तेथीहीएीयाए सिहायोगाहगामवे॥६५॥गनासायात अपराव। रहिन पुघरा समस्त सिद्धाश्री जोएतो अ० डेमोपण नयी ६६ अनसिद्ध अरूपीजी आंतरारहिता ५४३ सियाविय। पुझत्तेएअगाईया । अपयवसियाविय ॥६६॥ अरूवीणोजीवघए। For Private and Personal Use Only

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