Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
नु.
ยย
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जी० जीव कला ती थैंकरें सि० सिद्धम० घणे प्रकारें कथा तं० तेसिना अनेक लेदनशष्यमते गुरू कहे बेमे० मुजनेकहता ३० अ. ३६ जीवावियाहिया । सिद्धागविहावृत्ता ॥
1
तंमेत्तिय ॥ काल | ३० स्त्रीमरीने सिद्ध थाए पु० पुरुषमरीने सिद्धथाए त. तेमज नपुंसक मरीने | स० स्वलिंगतेयतीने लिंगेसिद्ध० अनेरेसन्या | गिब्बस्ने लिगे इचिपुरिससिद्धाय । तहेवयनपुंसगा । सिद्धाए ससिंगे अन्नसिंगेय । सिनेविषसिद्धयाए गिहिलिंगे। त० तिमहीज ५० ॐ॰ नत्कृष्टपाचसेधनुषनी अ० अवगाहनासिद्ध थाएज० जघन्य बेहा धनी अवगाहना सिड्याए म० ज० उंचापर्य तहेवय ॥ ५० ॥ नकोस म्हणा । जहन्नमशिमाय । मादिदेईने महेयं तनपर मरीने सिद्ध थाए नी० नीचाषाम प्रमुषमाहे मरीने सिद्ध धाए । स० बेसमुड्स एण दधिसमु प्रने कसोदधि समुड़ एबेसमा तिरियंच । ति त्रिवा लोकमां मरीने सिद्ध थाए समुहंमिजलंमिय ॥ ५१ ॥ कोश्कदेवतादिकें नाष्या एतिहां मरीने सिद्ध आए ज ० नदी प्रमुषमांमरीने । द० दसजीव पुरुष नपुंसकने विषे तक्रष्टाएका बी० उत्कष्टाजीव २० २० स्त्रीने विषेसिद्ध याए बीजा पाएणीमां मरीने सिद्ध थाए ५१ दसयनपुंसएफ । समयसिद्धया वीसतिईन्डियासु ॥ पुरुसेसुँ | पुरुषनेविषेन त्कष्टा सीके तो अ० एकसो | स० नुष्टा समय ए० एकसिद्ध थाएसीफे | चन्ननकृष्टीच्यार जीव गि० गृहस्वना सिंगनेविष ४४ यावसयं ॥ उपरेट जीवसिद्धीसमए एग सिझई ।। ५२ ।। ५२ चत्तारियगिहसिंगे । एक समय सीजें.
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447