Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

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Page 400
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | फा० फरसपकी सुलुषारापसरवाजे ल० लजनाएते ५ वर्णनीगंबेगंधनी ५ रसनी ल लजना नए संच पांच संस्थाननी ४० । ४३८|| फासन निछएजेन । लइएसेनुवन्नन । गंवरसनचेव । मएसंगगनविय ॥ ४० ॥ फाट फरसबकी खुसुषाराष सरषाजेल लजना लपते पांचवर्णनीगं बेगंधनी ५ रसनी लन्नजनाए सरसंस्ठाननी ११ फासन मुस्कएजेन । लइएसेजवपन । गंपन रस चेवालइएसंगएानविय ॥ ४५ ॥ प० यूमिनिपरे सँग संस्कानबे जेनोत्तेपुदगतमाहेल लजनाइएते ५ वर्णनी गंदर गंघनी ५ रसनीलच्नजनाप्नएफरसनीपए ५२ परिमंगलसंगाणे। लइएसेजुवपने। गंधरसनचेव । लइएफासनविय ॥४२ सं संस्थानकील झूएब वाघुयानीपर ले पुदगलनेमाहेल. त्मजनाएते ५ वर्णनीगं गंधनीर०५रसनीलजनाकपट फरसनी ५३ संगपनलवेवटे ।वाटलाजेनएसनवन्नन। गंवरसनचेव। लइरफासनविय ४३॥ सं संस्थानयकि एतं तेसियोमाने आकारेंपरे। नेमाहे ला नजनाएते ५वनीम गंधनी पांचरसनीलामजनाइएअाठफरसनीपण संगपत्नवेत्तंसे । त्रिषुपाजेजेपुट्स लजएसेनवन्नई। गंधनरसनचेव। लश्एफासनविय ॥४॥ सं०संस्वानयकीचच रसाने अाकारेचनरसबेजेपुद्गसनेमाहेला नजनाएते गं० २रांधनीनजनाइए ५ रसनीस्म नजनाकएप्फरसनीपए |५२८ संगणनयचनरंसे। लइएसेनबन्ने, गंध रसनचेव । लश्एफासढषिय ॥ ४५ ॥ For Private and Personal Use Only

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