Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

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Page 399
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ङ. र० रसयकीमीगजे ल० जना एते पांचवनी गंοबेगंधनी याव फरसनी ल० लजना एपांच संस्थाननी ३४ २१ रस मरजे । लइएसेनवने । गंधूपासनचेव । लइएसंगएानविय ॥ ३५ ॥ | फा० फरसथकी पाषाएानी परेका परपराने ल० लजूना फूए ने पांचवनी गं० गंधधकी रसकी ललना सं० संस्थान (ए २५ फासनकरकमेजेन । तैाहे लइएसेनवन्नन् । घनरसनु॑चैव । लएसंगान॑वय ।। ३५ ।। फा० फरसीकी सुहाला भाषएासरषाजेल. लजनानएते ५ वर्शनी गं० बेगंघनी ५ फरसनी ल. लजनाएपांच संस्थाननी ३६ फासंमनुजे । लइएसेनवन्नन् । गंधनेरसन चेवा लइएसंगएानविय ॥ ३६ ॥ फा० फरसयिकी सी० ताढाकमलसरषाजे ल० लजनानए ते. पांचबर्फानी गं० बेगंधनी एरसनी ल० लजना नए सं० संस्थानपरोंकरी लजना फासनु॑गुरुएजेनुं । लइएसेनवन्नने। गंधनुरसचैव । लएसंगानविय ॥ ३७ ॥ | फा० फरसयकीन ० नुनासरिषाजे ल० लजनाते पांच वर्षानी गं० बेगंधनी पांच रसनी ल० लजना भए ५ संस्वाननी ३८ | फासन सीयएजेने । लइएसेनवन्न । घनरसन चेव । लइएसंगान विद्य ॥ ३८ ॥ फा. फरसकी चोपम्याजे पुदगल फूएते ल० लजना फूएते ५ वर्षानी गं० बेगंधनी ५ रसनी ल० लजनानए संस्थान पांचनी ३९ फासन्नएहएजेन। मांहे लइएसेनुवन्ननुं । गंधनेरसचैव । लइएसंगएानुंविय ॥ ३९५ ॥ For Private and Personal Use Only प्र.३६ ३५

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