Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

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Page 397
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 34 न || कवयिी जे जे एकि कालो पुदगल न नजनाए से० तेबेगंधनी सगंध र तीषादिक ५ रसनीलजना ८ फरसनीन || अ३६ | वलन जेलवेकिएहे तेमालशासेनुगंधए। अनेषुगंधपणे रसन फासनचेव । जनाचेच कामा वर्णपासेजमध तेगंध १।२।१ फाल एवं ५ संगगनहितं परमाएक लालजनाएसंस्खानपांचनी २३ वविकीजेपुदग श्राश्री गुरु २० साल्ने २० नाव साने तेबादर अनंतप्रदेसाश्रीषंध लइएसंगराजेविय ॥ २३ ॥ वदामने ख रुपनीलोतमाहे मजनानएने गं: गंधनीसुगंधअनेकुर) र रसमांहेजेकोश्क तीषादिरसए नेलपी फरसनी कएपांचसंस्थान नवेनीखे । लशएसेनगंधन । गंधपण रसने फासनचेव । लजनाट फरसनीलजनात्मइएसंगरान नीपण २५ ब० वएयिकी राताने पुदगल एनेमाहेल दमजनातेवेगंधनी र० ५ रसनी फरसनी म नजना कए५) विय ॥२७॥ वन्न सोहिएजेना लश्एसेनुगंबना रसनेफासनेचेव। लइएसंगए। संस्थाननी २५ व वयिकीपीच् पीताजे पुदगलतेमालनजना एबेगंधनी ररुपांचरसनी फरसनीम नजनाए ५ नविय ॥२५ ।। वन्ननपीयएजेन । लश्एसेनुगंपने । रसने फास चेव । लश्एसंगए संरचाननी २६ ववयिकीधाला पुदगलाएते लालजनाएनेबेगंधनी र पांचरसनी आउफरसनी लालजना ५३५ | नविय ।।२६॥ वन्न सुकिलेजेन । मांहे लश्एसेनगंपन्न । रसन फासनचेव। नएसंगएँ|| सरगना For Private and Personal Use Only

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