Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

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Page 398
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ङ. एस० ५ संस्वाननी २८ गं० गंधयकी होए वे I पांचनी २७ गं० गंधधकी जे पुद्गल सु० सुगंधतेमाहे ल० लजना करते पांचवर्षानी र पांचरसनी व्यावफरसनी ल० लजना ३६ ४३६ नृविय ।। २१ ।। गंधन॒जेलवेसुझि । लइएसेनवने। रसनेफासनचैव। लइएसग ल. लजना फूएते ५ वर्षानी र ५ रसनी फरसनी ल. लजनाए एानविय ॥ २८ ॥ गंधजे लवेझी । लइएसेनुवन्ननुं । रसने॒फासनु॑चेव । लएसंग सं० ५ संस्वाननी २५ २० रसकी तीषो संग्नी परे जोम लजनान ते बएनी गं० बेगंधनी ८ फरसनी ल० लजना फूए पांचसं | सनविय ॥ २९ ॥ रसØतित्तन्जेल । लइएसेनुवन्ननं। गंधफासचैव । लइएसंगएानविय स्वाननी ३७ रसयिकी करूयासी बनाए तेसरषाल लजना नए ५ वर्षानी गं. बेगंधनी फरसनी ॥ ३० ॥ रसनेकसूयएजेन । लश्एसेनुवन्न॑न॒ । गंधफासचैव । लएसंगणन वि न पांचनी११ २० रसयकि कसायलोजे ल० लजना कए से पांचवनी गं० बेगंधनी याव फरसनी ल० लजना नए सं० पांच य ॥ ३१ ॥ रसनुकसायएजेन । लइएसेनुवन्नन। गंध फासनेचेव । लइएसंगएानवि संस्वाननी ३२ २० रसकी पाटा जे ल॰ लजनानएते पांचवरएानीगं• बेगंधनी ८ फरसनी ल० लजनानएसं ०५ संस्थाननी३२, ४३६, य ॥ ३२ ॥ रसनु॑त्र्यंबिलेजे। लइएसेनवन्नगंधफासचैव । लश्एसंगएानविय ॥ ३२॥ こ ल० लजनाए संस्वा For Private and Personal Use Only

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