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उ.
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लेस्यापितिजंत्र १
पृथिव्यादिक
समुचय३
समुचय जीव
३६
गतिमाश्री
तिर्यच प्रकारें ज०
नसंख्या १ असंध्या २ मनुष्यनी ३ प्रकार नु०
ज०
ॐ
३३ सागर
ज० १० हजारवर्ष नुपस्यपनी संख्या तभी लाग
नरकगति
कृष्ण १ अंतर्त
३३ सा० अंतर्मु ० त्र्यधिक कमी से इजाएउ मीनरके
लवनपति
व्यंतरने
ज
अंतर्मुहूर्त
अंतर्मुर्त
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तेजो ४ पदम
नी० नीस २ अंतर्मुर्त
कापीत ३ तमुर्त
| अंतर्मुहुर्त अंतर्मुहूर्त
१ सा०पत्यत्रमसंख्या ३ सा० पस्य असं ३ सापस १० सा० 5 स लाग लोग अधिक मी लाग अधिकचीजें
नरके
|
अंतर्मुर्त
अंतर्मुर्त
संभाग ३ सा पसच्य० १०३
१० सा० असं मी
न० नपरेसमोअ पक्ष्यनो अर्स आग काश्कमोंटेरो
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अंतर्मुर्त
अंतर्मुर्त
१० हजारवरस
फू देवलोक मेदेवलोके
अंतर्मु अंत
अंतर्मुर्मु
३ सा० पष्य
१०३० चरन
नीसनी नृ० तेनुप १० समगर पप्पनी असं लाग जा मोटेरा
सरनी १५५
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सकल ६
अंतर्मुर्त
१३ सागरोपमत्र्यंत फूर्त अधिक प उत्तर विमान
अंतर्मुर्त
अनु वरसईसलगा
पूरबकोमिकें
म. ३७
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