Book Title: Updesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Author(s): Padmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
Publisher: Suriramchandra Diksha Shatabdi Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ - L G L L 000000000000000000000 L -- ----------------- समर्पण. - - Hक्रियोद्धारक संविग्न शाखा प्रवर्तक परमयोगी अनुयोगाचार्य । पंन्यास श्रीसत्यविजयजी गणी परपरागत संप्रदाय नायक .. A (स्वर्गस्थ गुरुदेव अनुयोगाचार्य पंन्यासजी महाराज ) श्री भावविजयजी गणीवर | आपे देश-विदेशमा विचरी अनेक भव्य जीवोने धर्म । Hदेशनारुप सुधाजल पाइ, सिंचन करी प्रफुल्लित कर्या छे. जैनतपुरी-पाटण नगरमां आपश्रीनो प्रथम दीक्षा महोत्सव अने बाल - ब्रह्मचारी तरीकेनुं प्रथम मान वीशमी सदीमां आपे मेलव्यु छे. गामे गाम विहार करी अनेक जीवाने प्रतिबोध पमाडी उपधान ! उजमणा ओच्छवो अने तेवा अनेक धर्मनी अभिवृद्धि शासनोनितिना कार्यों आपश्रीना उपदेशथी थया छे श्रीमान्, आचार्य । महाराज श्रीविजयनीतिसूरीश्वरजी महाराज जेवा विद्वान् । मुनिराज़ के जेओ हालमां प्राचीन गिरनारजी तीर्थनो जीर्णो-। Hद्धार तथा प्राचीन पुस्तकोद्धार विगेरे शासननी शोभाना अनेक D कार्यो उपदेश द्वारा करावी रह्या छ तेवा सुशिष्य रत्न अने तेवोज आपनो लगभग पांत्रिश 'शिष्यनो परिवार हाल विद्यमान छे. आफ्नी धर्म-धगश-विशुद्ध हृदय-सरलता विगेरे । गुणोथी आकर्षाई उपदेश रत्नमाला नुं पुस्तक आपने । सप्रेम समी कृतार्थ थाउं छु. लि० आपनो चरण किंकरशाह. शिवनाथ लुंबाजी-पोरवाल. मु० पुना सिटी. .. OOOOOOOO

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80