Book Title: Updesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Author(s): Padmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
Publisher: Suriramchandra Diksha Shatabdi Samiti

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Page 42
________________ (२३) आ उपरथी सार ए नीकळे छे के दरेक स्थिति बदलाय छे. सुख पछी दुःख, अने दुःख पछी सुख. माटे सुख आवे बहु राचवू नहि, तेम दुःख आवे ग्लान थई पुरुषार्थ छोडवो नहि ' आ पण जतुं रहेथे' ए शब्दो हृदयमां कोतरी मननुं समाधान जाळवq. ___ मरण आवे तो पण सन्मार्गनो त्याग न करवो.- जे सजनो छे, ते गमे तेटलुं दुःख आवी पडे तो पण न्याय मार्गथी विरुद्ध वर्तता नथी. संस्कृत कवि कहे छे के नीतिनिपुण मनुष्यो निन्दा करे या स्तुति करे, लक्ष्मी आवे या जाय, मरण आज के एक युग पछी थाय तो पण सजनो सन्मार्ग मुकता नथी. कारणके जन्म धरनारने वास्ते मरण तो निश्चत छे. एक वार मरणने शरण थवु, ए सर्व जन्म धरनारने वास्ते निर्मित छ; अने मनुष्यना आत्मानी साथे पाप पुण्य शिवाय अन्य कोई पदार्थ जनार नथी. तो पछी पुण्य रुपी भाथु उपार्जन करवाने शा सारु न्याय मार्गे न वर्तवू. कारण के अपकार्यथी जे आत्माने कलंक लागे छे, ते घणा भव सुधी साथे रहे छे, अने उन्नतिमां विघ्नरुप थाय छे. ते हेतुथी सन्मार्गे वर्ती सर्व प्रकारना दुष्टाचरणथी विमुख रहेवं, ए सर्व कोई आत्मार्थी जीवोनी उत्तम फरज छे. वैभवनो क्षय थयो होय तोपण यथोचित दान करवू.-वैभव धन संपत्ति एक सरखी चाली आवती नथी. माटे कदापि पुर्वभवना अशुभ कर्मना कारणथी आपणी धन संबंधि स्थिति सारी न होय तोपण तेवी स्थितिमा पण यथोचित-यथायोग्य दान करवा न चुकवू. घरनां छोकरा घंटी चाटे अने उपाध्याय ने आटो ? ए कहेवतना दोषने पात्र आपणे न थईए ते सारू सावध रहेQ. पण आपणां करतां वधारे हलकी स्थितिनो कोई मनुष्य आपणी पासे प्रार्थना करतो आव्यो होय तो तेने निराश करी पाछो काढी नहि मुकर्ता आपणी स्थिति अने तनी जरुर ए बन्नेनो विचार करी दान आपq. आ प्रमाणे जेओ तरवारनी धारपर चालवा जेवं विषमव्रत पाळे छे. तेओ खरेखर सज्जनना परमपदने योग्य छे, अने तेओ पोताना उच्च गुणथी सर्वत्र पूजाय छे.

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