Book Title: Updesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Author(s): Padmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
Publisher: Suriramchandra Diksha Shatabdi Samiti

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Page 71
________________ (५२) तेवामां मध्य रात्रिये एक सिद्ध हाथमां चिलेलो घडो लइ त्यां आव्यो. जमीनपर एक स्वच्छ जगोए ते घडो मूक्यो अने तरतज एक सुंदर घर बनी गयु. पछी ते बोल्यो के स्त्री थइ जाओ एटले त्यां नवयौवना सुंदर वेशवाली रतीना अवतार जेवी स्त्री उत्पन्न थइ. त्यार पछी ते सिद्ध जे जे बोलवा लाग्यो ते ते सर्व थवा लाग्यु. आखी रात्रि ते स्त्री साथे विविध प्रकारना कामभोग भोगवी सारी रसवतीनो आहार करी प्रभात समय नजीक आवतां सर्व संहरी लीधुं. पेलो भिक्षुक आ सर्व जोया करतो हतो. अने आखो वखत विचारतो हतो. के "अरेरे! हंतो पृथ्वीपर तद्दन दुर्भागी छु. मने तो माया पण मली नहि अने प्रभु पण मळ्या नहि, माटे हवे हूं तो आ सिद्धनी सेवा करूं." आवो विचार करी ते भिखारीऐ सिद्धनो आश्रय लीधो अने तेनी सेवा करवा मांडी. घणा वखत सुधी एक चित्ते ते सिद्धनी सेवा करवाथी आखरे ते प्रसन्न थयो अने कह्यु के " बोल तारे शेनी इच्छा छे ?" त्यारे भिक्षुके कह्यु के 'हुं पण तमारा जेवा सुंदर भोगो भोगवू एवं करो! पछी सिद्धे तेने पुछ्युके तारे घडो जोइए छे के विद्या! बेमाथी शुं जोइए छे? ते भिक्षुक अत्यन्त दुर्भागी हतो तेथी तेणे मनमां विचार कयों के भविष्यमा विद्या साधवानो कष्ट न सहन करवू पडे ते माटे विद्या सिद्ध घडो मांगुं एवो विचार करीने कड्यु के जो तमे मारा उपर प्रसन्न यया होतो कृपा करीने तमारो घडो मने आपो. त्यारे सिद्ध पोतानो घडो तुरतज ते भिक्षुकने आपी दीधो. भिक्षुक पोताने गाम गयो अने घटना प्रभावथी उत्तम हवेली, शय्या, नवयौवना स्त्री, फरनीचर विगेरें अनेक सुखनी सामग्री उपजावी पोते आनंदमय रहवा लाग्यो. पोताना कुटुंबने पण सुखी कयु. एक दिवस दारू पीने मस्त थयो अने लहरमां आवी जइने घडो लइने नाचवा लाग्यो. दुर्भागीनां नशीब महान् होतांज नथी. वखत भरांइ गयो, पाप उदय आव्युं. घडो माथेथी पड्यो अने फुटी गयो. तेज वखते जुए छे तो पोते उकरडामां उभो छे. घर, स्त्री, भोग, सर्वनो नाश थह गयो. तेणे जो विद्या लीधी होत तो फरीने पण सर्व निपजावी शकत, पण हवे तो काइ बनी शके तेम नहोतुं. ( उपनय ) प्राप्त थयेली सर्व सामग्री मात्र प्रमादयी भिक्षुक हारी गयो, तेमज मनुष्यभवमा धाराधन योग्य सर्व सामग्री प्राप्त थया छतां प्रमादथी सर्व हारी जाय

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