Book Title: Updesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Author(s): Padmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
Publisher: Suriramchandra Diksha Shatabdi Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 79
________________ *EOGO FOL0000000000050FOGO FOL 2050 FOG 50 PGOD OF OnOF 2500* ( ६० ) शुभेच्छा जे मर्मथी पुस्तक लख्युछे, लेखके समजी करी, पठजो पूरुं ओ ! पाठको ते, गुढ अर्थो उर धरी ॥ तम हृदय रसमां इबवी, आनन्द अंतरमां धरो, सौ सार एकन्दर ग्रहीने, दोष न्हाना परहरो ॥१॥ वलि दोष जोड़ पारका, दुर्वृत्तिने ना पोषजो, ए ज्ञाननो ग्रही सारनें, आनंदथी उर तोषजो || अ०Goodono JOGO no noboomodood 串 चैमिि ॥ मांगलिक भावना. ॥ मंगल भगवान वीरो, मंगलं गौतमप्रभु ॥ मंगलं स्थूलभद्राद्या, जैनो धर्मोस्तु मंगलं ॥ १ ॥ सर्वमंगलमांगल्यं, सर्वकल्याणकारणम् ॥ प्रातं सर्वधर्माणां, जैनं जयति शासनम् ॥ २ ॥ इति प्रकीर्ण उपदेश: समाप्त

Loading...

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80