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छ तेना परिणामे भविष्यमां तारे पस्तावो करवो पडो आ हकीकत अगाउना दृष्टांतमा बहु स्फुट करी छे. बीजो सार ए लेवानो छे के मनुष्य घणुं खरूं तात्कालिक लाभ तरफ ध्यान आपे छे. जो भिखारीये कष्टसाध्य विद्या लीधी होत तो शरूआता तो तेने जरा प्रयास पडत पण पछी हमेशांनी पीडा मटी जात! परंतु माणसने बेठा मळे तो उठवानी इच्छा थती नयी. आ टेव बहुज खराब छे अने घणा माणसो तात्कालिक लामनी लालसाथीज अन्यायी कार्योमा सपडाय छे. बीजु ए समजवान छे के पोतानी स्थिति करता एकदम मोटा थइ जवानी हॉश राखवी नहि. नाना बाळकने तो जे पचतु होय तेज पचे, वधारे भारे खोराक खावामां आवे तो ज्वरादिद्वाराए मरण प्राप्त याय छे.
॥ दृष्टांत आठमुं-दरिद्र कुटुंबचें। कोई गाममा एक दरिद्र कुटुंब वसतुं इतुं. एक सारे दिवसे तेओ कोई गृहस्थने घेर गया हता. त्या तेओए दूधपाक रंघातो अने खवातो जोयो, त्यारे तेओने पण ते खावानी इच्छा थई. बघाए एक साथे निर्णय कयों के आज भीख मागीने पण दूधपाक खावो. एक जण कोई जगोएयी जेवू तेवं दूध लई आन्यो. बीजो वळी कोई ठेकाणेयी चोखा लई आव्यो. पूरी करवा सार एक जण घी लई आव्यो. एक लोट लई आव्योः आवी रीते छटी छुटी वस्तुओ लावीने तेनां दूधपाक पूरी बनाव्या. पोते जे जे वस्तु लाव्या हता तेना प्रमाणमां सर्वेए पोतापोताना भाग पाडवा मांड्या, पण मूर्ख हता तेथी परस्पर वांधो पड्यो अने ज्यारे कोई रीते अंदर अंदर समजी न शक्या त्यारे दरबारमा फरियाद करवा गया. केटलोक वखत थया पछी पाछा फर्या अने जुए छे तो मालूम पडथु के कूतरा दूधपाक अने पुरी विगेरे सर्व खाई गया छे. घणा दिवसे मळेली वस्तु आम एकदम चाली गयेली जोई तेओ सर्वने ध्रासको पड्यो अने मरण पाम्या. (उपनय) महाप्रयास करीने प्राप्त करेल दूधपाक पुरीनुं फळ जेम सदरहु कुटुंबीओ पामी शक्या नहि अने उलटा तेज निमित्ते मरण पाम्या, तेवीज रीते महा प्रयासे प्राप्त थयेल मनुष्यभव विगेरे सामग्री रागद्वेषादि कारणोथी फळ वगरनी यई पडे छे एटलुन नहि पण अनंत जन्म मरण पण आपे छे; वळी पुण्यवान् गृहस्थोनी मोटाइ जोइने