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कदर बुझी शके छे, ते जरूर महान थशे. दरेक मनुष्यमा गुण तेमज अव गुण होय छे. गुणदृष्टि वाळो सर्वना गुण तरफज दृष्टि राखे छे, अने ज्यारे प्रसंग आवे त्यारे ते गुणोज वर्णवे छे. आथी सर्व कोई तेना मित्र थाय छे. ___ आ साधनोनो आश्रय लेनार जीव सर्वने प्रिय थायछे, अने सर्व तेना मित्र बने छे. पत्थावेजपिज्जइ सम्माणिज्जइ,खलोऽवि बहुमझ्झे नज्जइ सपरविसेसो,सयलत्था तस्स सिज्झन्ति १९
अर्थः-योग्य समये बोलवू; घणा मनुष्योनी वचमां खल माणसनुं पण मान राखq; पोतानो अने परनो विशेष भेद जाणवो, के जेथी सकल अर्थनी सिद्धि थायः ॥ १९॥ . भावार्थः-योग्य समये बोलवू-बीजाओ साथे बोलवामां कया कया नियमो पर ध्यान आप, ते आ श्लोकमां बताववामां आव्युं छे, कोईनी साथे बोलवामां केवो समय छे, ते विचारीने बोलवं. योग्य वखते आपेली सलाह लाभकारी थायछे, पण तेज सलाह अयोग्य वखते आपवामां आवे तो शत्रुता पेदा करे छे. घणा मनुष्यानी वचमां खल माणसनुं पण मान राखवु-हलका मनुष्यने पण भर सभामा तोडी पाडवो नहि. तेने अंगे बोलवान आवे तो ते पण सभ्यताथी बोलवू. गमे तेवो हलको मनुष्य होय, पण जो तेनुं सभामां अपमान थाय तो तेने घणु लागी आवे छे, अने ते सदानो शत्रु बने छे. माटे कोई हलका मनुष्यना संबंधमा बोलवानो प्रसंग आवे तो ते वखते पण जीभ उपर काबु राखी जेटली तेनी दलीलो होय तेनो जवाब आपवो, पण अंगत टीकामां उतरी जq नहि. मनुष्य मात्र भूलने पात्र छ, अने ते सदोष जणातो पुरुष पण सुधरशे, एवी दृढ श्रद्धा राखी बने तो सुधारवा प्रयत्न करवो, नहि तो मौन धरवं. पोतानो अने परनो विशेष भेद जाणवो-पोतानी वळी तथा पोते जेने उपदेश आपवा तैयार थयो छे, तेनी स्थितिनो विचार करवो. आ भेद भाव नहि समजवाथी घणा अनर्थो नीपजे छे. बाळक आगळ वैराग्यनी मोटी वातो करनार गुरू केवो गणाय ? तेमज जे काव्य शुं ते समजतो न होय, तेनी आगळ अलंकारशास्त्र कहेवाथी लाभ शो? माटे पोतानी तथा सामानी स्थिति विचारी वर्तवू के बोलवू.