Book Title: Updesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Author(s): Padmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
Publisher: Suriramchandra Diksha Shatabdi Samiti

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Page 18
________________ गाथांक विषयतुं नाम कदापि विश्वासुने छेतरवो नहि ... कदापि कृतघ्न ने थq ... गुणवालाने देखी राजी थQ स्नेह रहित पुरुषो प्रति राग न करवो ... पात्रनी परीक्षा करवी . ... ... अकार्यने आचरवु नहि ... अत्माने निंद्य कार्यमां न नाखवो ... पुरुषार्थ कदापि न तजवू ... दुःख आवे मुझावु नहि ... मरण आवे तो पण सन्मार्गनो त्याग न करवो ... वैभवनो क्षय थयो होय तो पण यथोचित दान:करवु अति राग न घरवो ... प्रियजन उपर पण निरंतर रोष न करवो कलेशने वधारवो नहि कुसंगी साथे न वसवू ... बाळक पासेथी पण हित वचन ग्रहण करवू अन्यायथी पाछा हटवू ... - ... वैभवने विषे गर्व करीए नहि विपत्ति वखते दीन थई शोकातुर बनी न जवु नोकरना गुण परोक्षपणे न कहेवा ... पुत्रना गुण प्रत्यक्षपणे न कहेवा स्त्रीना गुण बीजाने के तेने पोताने न कहेवा प्रिय वचन बोलवु विनय करवो ... ... दान देवू ... पारकाना गुण ग्रहण करवा... योग्य समये बोलव ... अपम स्वामीशाखमाखल माणसनुं पण मान राखवु ::::::::::::::::

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