Book Title: Updesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Author(s): Padmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
Publisher: Suriramchandra Diksha Shatabdi Samiti

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Page 31
________________ (१२) पण कर्या. हे तुं आशा ! हे निष्फळ आशा ! आथी वधारे तुं शुनचावनारी हती." सर्व कार्य मनुष्यथी पोतानाथी थई शके नहि. आपणा. समाजनुं वंधारणज एवा प्रकारचं छे के दरेक मनुष्ये एक बीजाने सहाय आपवी अने लेवी, ते विना जनमंडळनो व्यवहार नमी शकेज नहि. माटे सहाय मागवी पडे, अथवा प्रार्थना करवी पडे तो योग्य मनुष्यनी करवी. कालिदासे मेघदूतमा कयुं छे के:याञ्चा मोघा वरमधिगुणे नाधमे लब्धकामा। अधम पुरुषनी प्रार्थना करी होय, अने इच्छित फळ मळे तेना करतां पण सारा मनुष्यनी प्रार्थना करी होय, अने ते निष्फळ जाय, ते वधारे सारं. आ उपरथी समजवान के मागवू पडे तो योग्य पुरुष पासेज मागवू. कोईनी प्रार्थनानो भंग करवो नहि- आ सूत्र जेवु उत्तम आ जगतमां बीजं एके नथी, पण ते प्रमाणे वर्तवू, ए कांई सहेलु काम नथी. आपणी शक्ति प्रमाणे कोईन काम करी छुटवू एज महान् पुरुषोनुं भूषण छे. परोपकाराय सतां विभूतयः सारा मनुष्योनी संपत्ति परोपकारमांज वपराय छे. आपणुं एटलं सामर्थ्य नथी के दरेक मनुष्यनी मागणी स्वीकारीए. माटे ते मनुष्यनी पात्रता तेमज आपणी शक्ति जोई तेनी मागणी कबुल करवी. आ जगतमां एवा घणा मनुष्यो मालुम पडे छ के जेओ पोतानामां जे कार्य करवानुं सामर्थ्य न होय, अथवा अवकाश न होय, ते करवाने माथे ले छे. बीजाने विश्वास आपे छे, अने पछी तेओ ते कार्य नियमित समये करी शकता नथी. आ प्रमाणे विश्वासघात करे छे. तेथी सामा मनुष्यने घणीज दीलगीरी थाय छ, प्रथमथी ना कहेवी ए वधारे उत्तम छे, पण विश्वास आपी, छवटना समयमां पातानी ते कार्य करवानी. अशक्तता बताववी, तेना जेवू बीजु मोटुं दूषण नथी वचन आपतां पहेला विचार करो. जो शक्ति न होय तो तेज समये धैर्यताथी ना पाडो. वचन आपी विश्वासघात करवो नहि. दीन वचन बोलवू नहि-महान् पुरुषोनु आ एक उत्तम लक्षण छे, के सूर्यनी पेठे उदय तथा अस्त समये एक सरखी वृत्ति धारण करी शके छे. सूर्य उदय तथा अस्तना समयमा समान रीते लाल देखाय छे. तेज प्रमाणे सत्पुरुषो संपत्ति समये गर्विष्ठ बनता नथी, अने विपत्तिना समये

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