Book Title: Updesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Author(s): Padmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
Publisher: Suriramchandra Diksha Shatabdi Samiti

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Page 39
________________ (२०) भावार्थः-अकार्यने आचरवु नहि-दरेक धर्मशास्त्र जणावे छे के खराब काम न करवू, पण तेनुं मूळ शुं छे ते जाणवू जरूरनुं छे. कार्यनो नाश करवाथी कारणनो नाश थतो नथी माटे कारण-मूळने जाणी तेनो विनाश करवो के जेथी सर्वथा कार्यनो नाश थाय. खराब काम करवाने मनुष्य दोराय ते पहेला तेवा विचारो तेना मनमां जन्म पामे छे. . ___ भगवद् गीतामां कहेलुं छे के ध्यायतो विषयान्पुसः संगस्तेषूपजायते । विषयोनुं ध्यान करनारा मनुष्यमां विषय प्रति आसक्ति थाय छे, अने जे वस्तु प्रति आसक्ति थाय ते मेळववाने लोभाय ए स्वाभाविक छे. वारंवार खराब वस्तुओनो विचार करवायी खराब आचरण थाय छे. माटे प्रथमथीज दुष्ट विचारोने मनमा प्रवेश करवा देवो नहि. कहेवू सहेलु पण ते प्रमाणे वर्तवू दुश्कर छे, ए वात लेखकना अनुभवनी ब्हार नथी, तो पण आवा उपदेशनी वारंवार जरुर छे. आ काम करवानो साथी सुगम मार्ग शांत चित्तथी मनमां सारा विचारो भरवानो छे. सारं अने नरसु एक ठेकाणे वासो करी शके नहि. सारा विचारो ज्यां थया होय त्यां खराब विचारो स्थान पामी शके नहि अने आ प्रमाणे सुविचारी पुरुष सुकृत्योने जन्म आपे छे. माटे प्रथम विचारपर लक्ष आपो. विचार ए नकामी चीज नथी, पण तेज खरेखर मनुष्यना कार्यनो नियंता छे. आत्माने निंद्य कार्यमांन नाखवो. आत्मानो स्वभाव शुद्ध छे. तेनो स्वभाव तेने ज्ञानदर्शन अने चारित्रमा परोवे छे, पण मन मांकडु तेने आडे अवळे मार्गे दोरे छे. माटे आ लोकमां निंदा थाय तेवां कार्य कदापि करवां नहिः अने ते माटे दरेक कार्य करता पहेलां मन साथे आ प्रमाणे विचार करवो. शुं मारुं काम लोकमा प्रशंसा पात्र थशे ? शुं हुं मारा अंतरना अभिप्राय प्रमाणे वर्तु छु ? शुं मारा विचार, वचन अने कार्य परस्पर अविरोधी छे ? शुं मारा कार्यथी मारा आत्मानी उन्नति थशे ? आ बधा प्रभोनो उत्तर हा रुपे आवे तोज ते कार्य कर जो आपणुं हृदय ना कबुल करतुं होय तो बाह्य कीर्तीनी लालचे निन्दनीय कार्य कदापी न आचर. साहसिकपणुं (पुरुषार्थ) कदापि न तजवू कायर, बीकण, अने निर्बळ पुरुषो कांई पण कार्य करी शकता नथी.

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